मेरठ पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। टीम ने रुहासा गांव के पूर्व उप प्रधान सदरुद्दीन के घर से हथियारों का जखीरा बरामद किया। बुधवार को हथियारों का जखीरा बरामद किया गया है। सदरुद्दीन ने बड़े शतिर तरीके से बेड के भीतर बड़ी संख्या में कारतूस और हथियार छिपाकर रखे हुए थे। सदरुद्दीन के बेटे शबी और रजी गांव में वर्चस्व कायम करने के लिए हथियारों की नुमाइश करते हैं। कुछ साल पहले गांव में हुए दोहरे हत्याकांड में शबी जेल भी जा चुका है और अब जमानत पर है।
गांव में दोनों भाई बात-बात पर फायरिंग कर देते हैं। अफजाल का परिवार अक्सर उनके विरोध में आ जाता है। इस कारण अफजाल और सदरुद्दीन के परिवार में छत्तीस का आंकड़ा रहता है।
रुहासा गांव की राजनीति पूर्व प्रधानों शहीद अख्तर और सलीम के इर्द-गिर्द घूमती है। चुनाव में शहीद अख्तर के साथ सदरुद्दीन का परिवार रहता है, जबकि सलीम के साथ अफजाल का परिवार। कभी सलीम तो कभी शहीद अख्तर प्रधान चुने जाते हैं। दोनों पक्षों में रंजिश है। इस बार गांव में प्रधान पद आरक्षित होने पर सलीम ने अपनी तरफ से कमर अख्तर को मैदान में उतारा था। शहीद अख्तर की तरफ से जरीफ मलिक चुनाव मैदान में थे।
जरीफ ने कमर अख्तर को हरा दिया था। तब भी दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। सदरुद्दीन और अफजाल आमने-सामने आ गए थे।इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस का एक कॉन्स्टेबल भी शामिल पाया गया, जिसका नाम जहीन है। उस पर पुलिस के कारतूसों को आरोपितों को बेचने का आरोप है। यह छापेमारी 24 नवम्बर 2021 को की गई है।
इस मामले में मेरठ के SSP प्रभाकर चौधरी ने बताया कि उनके पास व्हॉट्सएप पर हथियारों की सूचना मिली थी। एसपी सिटी विनीत भटनागर के नेतृत्व में पुलिस टीम ने छापेमारी की, जिसमें भारी संख्या में हथियार बरामद किए गए। बरामद हथियारों में एक फैक्ट्री मेड राइफल, 1 देशी बंदूक, 2 तमंचा, 236 ज़िंदा कारतूस, 156 खोखे बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, गोलियाँ बनाने के छर्रे, हथौड़ी, पेचकस, प्लास और रेती बरामद की गई हैं।
इन औजारों का उपयोग हथियारों को बनाने में किया जाता था। एसपी सिटी का कहना है कि इस मामले को गाँव में वर्चस्व, आगामी विधानसभा चुनाव और हथियारों की सप्लाई से घटनाक्रम को जोड़कर देखा जा रहा है।