यह घटना केरल या बंगाल की होती तो संभवत इसको राजनीतिक दृष्टिकोण से समझा और सोचा जा सकता था.. साथ ही इसमें शायद किसी को कोई हैरानी न होती, परंतु यह घटना उत्तर प्रदेश की होने के नाते कहीं कहीं चर्चा का विषय जरूर बन रही है..
यह घटना गोरखपुर मुख्य शहर की मस्जिद में मौजूद इमाम द्वारा अमल में लाई गई है। यहां स्वयं को ईद के दिन शांति और संयम बरतने की अपील करने वाले चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर अरुण सिंह इस शब्द मौलाना को इतने बुरे लगे कि उसने फोन रिकॉर्डिंग पर ही सब इंस्पेक्टर की वर्दी 1 घंटे में उतरवाने का चैलेंज दिया।
पूरी ऑडियो रिकॉर्डिंग में है स्पष्ट है कि सब इंस्पेक्टर ने कहीं एक भी शब्द मौलाना की कथित शान में गुस्ताखी नहीं की.. शान में गुस्ताखी यहां उल्लेखनीय अवश्य है क्योंकि इसी नाम पर पिछले कुछ समय से संत यति नरसिंहानंद के विरुद्ध कत्ल के फतवे जारी किए जा रहे हैं।
फिलहाल आते हैं गोरखपुर के मुद्दे पर। सब इंस्पेक्टर को चुनौती देने के बाद मौलाना अचानक ही अपने कपड़े फाड़ लेता है और अपने सोच वाले तमाम लोगों की भीड़ को जमा करके जोर-जोर से शोर मचाने लगता है कि चौकी इंचार्ज ने उसको मारा पीटा।
बड़ी सावधानी के साथ मौलाना चालाकी दिखाता है और स्वयं को योगी आदित्यनाथ का प्रबल समर्थक बताने लगता है। आनन-फानन में गोरखपुर पुलिस के डिप्टी एसपी का बयान भी आ जाता है और उस बयान में उनके शब्द होते हैं कि सब इंस्पेक्टर के निलंबन की कार्यवाही की जा रही है।
गोरखपुर के डिप्टी एसपी के बयान में कहीं भी भीड़ जमा करने व पुलिस अधिकारी की वर्दी उतरवा लेने की धमकी देने वाले मौलाना पर कार्यवाही की कोई भी चर्चा नहीं होती और ना ही बाकियों को भी यह संदेश होता है कि वह अपने मजहबी कार्यक्रम कानून की सीमाओं के अंदर करें।
इस घटना के बाद भले ही गोरखपुर में तैनात सब इंस्पेक्टर कार्यवाही झेल करके भी खामोश हो पर पूरे प्रदेश के पुलिस बल के मनोबल को कहीं न कहीं आघात जरूर लगा है जो बिना मत मजहब देखें कड़ाई से कानूनों का पालन करा रहे थे..
इस घटना के बाद यह सवाल स्वता उठने लगे हैं कि आखिर 1 घंटे पहले मौलाना पुलिस कर्मी की वर्दी उतरवाने का चैलेंज देता है और कुछ समय बाद वा चैलेंज सत्य में बदल जाता है। आखिर मौलाना ने यह सटीक और सत्य चैलेंज किसके दम पर दिया था?
इसी के साथ सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर सब इंस्पेक्टर अरुण सिंह की गलती क्या थी और क्या अब आगे किसी भी पुलिसकर्मी में यह साहस हो पाएगा कि वह भीड़ जमा करने पर आमादा किसी मजहब ई उलेमा या मौलाना के विरुद्ध मजबूती से जाकर खड़ा हो जाए?