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Makar Sankranti : 14 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाता है मकर संक्रांति....जानिए क्या है महत्व

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है. खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है. काली दाल से शनि, राहू और केतु का महत्व है, हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है

Shanti Kumari
  • Jan 14 2022 10:26AM
मकर संक्रांति देश का एक ऐसा पर्व है जो सभी हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. यह एक समय निर्धारित है जो हमेशा 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन लोग खिचड़ी और दही चुडा खाते है. इस दिन पतंग भी उड़ने की परंपरा मानी गई है. यह दिन सुबह में बिना कुछ खाए पिए नहा-धोकर दान करने के लिए भी विशेष माना जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 14 जनवरी को यानी आज पूरे देश में मनाया जा रहा है.ज्योतिष के अनुसार खिचड़ी का संबंध अलग-अलग ग्रहों से है. खिचड़ी में पड़ने वाले चावल, काली दाल, हल्दी और सब्जियों के अलावा इसे पकाने तक की प्रक्रिया किसी न किसी विशेष ग्रह को प्रभावित करती है.

महत्व :- ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है. खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है. काली दाल से शनि, राहू और केतु का महत्व है, हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है. वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल और सूर्य देव से है. इस प्रकार लगभग सभी ग्रहों का संबंध खिचड़ी से है, इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान का महत्व अधिक होता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि खिचड़ी से जुड़ी एक बाबा गोरखनाथ की कथा है.मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की ऐसी भी मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान बाबा गोरखनाथ के योगी खाना नहीं बना पाते थे और भूखे रहने की वजह से हर ढलते दिन के साथ कमजोर हो रहे थे. योगियों की बिगड़ती हालत को देखते हुए बाबा ने अपने योगियों को चावल, दाल और सब्जियों को मिलाकर पकाने की सलाह दी. यह भोजन कम समय में तैयार हो जाता था और इससे योगियों को ऊर्जा भी मिलती थी. बाबा गोरखनाथ ने इस दाल, चावल और सब्जी से बने भोजन को खिचड़ी का नाम दिया. यही कारण है कि आज भी मकर संक्रांति के पर्व पर गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास खिचड़ी का मेला लगता है. इस दौरान बाबा को खासतौर पर खिचड़ी को भोग लगाया जाता है.

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के साथ अपने आराध्य देव को भी खिचड़ी का भोग अवश्य लगाना चाहिए. इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं साथ ही सभी ग्रह भी शांत होते हैं. इस दिन सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने से भी लाभ मिलता है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ चलते हैं. दिन बड़ा होने लगता है और रातें छोटी होने लगती हैं. सूर्य की गति में ठहराव होने लगता है. जिससे सूर्य देव में तेज और ऊष्मा आने लगता है. सूर्य  अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं. 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस साल 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों ही दिन पुण्यकाल और स्नान, दान का मुहूर्त बन रहा है. हालांकि, ज्यादा उत्तम तिथि 14 जनवरी ही होगी. बनारस के पंचांग में सायंकाल का मुहूर्त बताया गया है, लेकिन राजधानी दिल्ली के पंचांग में दोपहर का समय बताया गया है. उत्तरायण काल में संक्रांति का शुभ मुहूर्त शुक्रवार, 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. 

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें. गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है. आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं.

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