जब छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा जैसे पड़ोसी राज्यों में वैक्सीन का उत्पादन हो सकता है, तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? छत्तीसगढ़ साधन संपन्न राज्य है, हम इसे उन्नत से उन्नत बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। इसके लिए जो कुछ भी पहल करना पड़े वह हम अवश्य ही करेंगे।
यह बातें छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने अभिव्यक्त की। वह कोरबा जिले के पाली प्रवास के दौरान कुछ समय बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन में रुके थे ,यहां उन्होंने पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों से राज्य के अनेक जिलों में विशेषकर गौधन में व्याप्त लिंपो स्कीन की बीमारी के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करते हुए व्यक्त की।
उन्होंने अधिकारियों से जानना चाहा कि आखिर मवेशियों में संक्रामक बीमारियों का समुचित उपचार क्यों नहीं हो पा रहा है? अधिकारियों ने उन्हें बताया कि मुख्य रूप से वैक्सीन की कमी है! हर साल विशेषकर बरसात के मौसम में वायरस, बैक्टीरिया, फंजाई आदि के कारण कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं जिसके लिए हमें उनका वैक्सीनेशन करना आवश्यक होता है राजेश्री महन्त जी ने जानना चाहा कि इसका स्थाई निदान क्या है? अधिकारियों ने बताया कि हम वैक्सीन के लिए बाजार व्यवस्था पर निर्भर होते हैं, जब वैक्सीन क्रय होकर हमें प्राप्त होता है, तब हम यह कार्य आगे बढ़ाते हैं। यदि राज्य में ही वैक्सीन का निर्माण प्रारंभ हो जाए तो हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकते हैं। राजेश्री महन्त ने पूछा कि क्या आसपास के किसी राज्य में इस तरह के कोई उपक्रम है, तो अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश ,गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा जैसे सीमावर्ती राज्यों में स्वयं के वैक्सीन बनाने के कारखाने हैं। राजेश्री महन्त जी महाराज ने उन्हें आश्वस्त किया कि हम चाहेंगे कि हमारे छत्तीसगढ़ राज्य में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने वाले वैक्सीन का निर्माण प्रारंभ किया जा सके, इसके लिए मुख्यमंत्री से स्वयं मिल करके इस प्रक्रिया को मूर्त रूप प्रदान करने का अनुरोध करूंगा ताकि हम राज्य के पशुधन को संरक्षित कर सकें, समय पर उन्हें समुचित उपचार प्रदान हो सकें। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग छह लाख से ज्यादा गौधन एवं भैंस वंशी हैं, तथा बकरी, सूअर भेड़ आदि को मिलाकर इनकी संख्या काफी अधिक हो जाती है ऐसे में यदि राज्य में ही इनके रोग से संबंधित दवाइयों और वैक्सीनों का निर्माण होता है तो निश्चित रूप से यह राज्य के लिए वरदान साबित होगा।
यह छत्तीसगढ़ राज्य की विडंबना ही है कि राज्य निर्माण के 20 वर्षों के पश्चात भी यहां अति आवश्यक वस्तुओं के निर्माण के लिए आधारभूत संरचना तैयार नहीं हो पाई है, अभी राजेश्री महन्त जी महाराज को गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष बने हुए केवल एक पखवाड़ा भी नहीं नहीं हुआ है कि वे गौ अभयारण्य से लेकर वैक्सीन निर्माण जैसे अति महत्वपूर्ण योजनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने की पहल करने में लगे हुवे हैं। यदि इस कार्य में उन्हें सफलता मिलती है तो निश्चित रूप से यह छत्तीसगढ़ सरकार के लिए ही नहीं अपितु छत्तीसगढ़ निवासियों के लिए कल्याणकारी वरदान साबित होगा।