कहा जाता है अगर किसी की मौत का न्योता भगवान् भेज देते है तो कोई भी उपाय काम नहीं आता। जब से देश में कोरोना की महामारी फैला है देश में कुछ कोरोना हुआ तब भी बच गए, कुछ बिना इलाज करवाए भी ठीक हो गए लेकिन कुछ लाख प्रयास के बाद भी अपनी जिन्दगी की जंग हार गए। ऐसी ही घटना मध्य प्रदेश से आई है जहाँ एक कोरोना संक्रमित किसान अपनी इलाज के लिए 50 एकड़ जमीन बेच दिया फिर भी अपनी जान नही बचा पाया।
एमपी के रीवा जिले के किसान धर्मजय सिंह आठ महीने पहले कोरोना से संक्रमित हुए थे। संक्रमित होने के बाद रीवा के संजय गांधी अस्पताल में उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। फेफड़े में ज्यादा संक्रमण होने की वजह से बाद में परिजन डॉक्टरों की सलाह पर चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज के लिए ले गए थे। आठ महीने तक धर्मजय सिंह का वहां इलाज चला, मगर उनकी जान नहीं बची है। परिवार ने इलाज पर आठ करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
आठ महीने पहले रीवा जिले के रकरी गांव के रहने वाले धर्मजय सिंह करोना संक्रमण के लक्षण महसूस होने पर संदेह जांच कराई थी। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वह रीवा के संजय गांधी अस्पताली में भर्ती हो गए थे। हालात में सुधार न होने पर उन्हें एयरलिफ्ट कर चेन्नई ले जाया गया था। चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। देश के नामी डॉक्टरों के साथ-साथ लंदन के डॉक्टरों ने भी उनका इलाज किया था। मंगलवार की रात उन्होंने चेन्नई के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली है।
धर्मजय सिंह की गिनती प्रदेश के प्रगतिशील किसानों में होती थी। मऊगंज क्षेत्र के रकरी गांव के रहने वाले धर्मजय सिंह की पूरे प्रदेश में अलग पहचान थी। वह स्ट्रॉबेरी और गुलाब की खेती से विंध्य इलाके में अलग पहचान बनाई थी। 26 जनवरी 2021 को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एसएफ ग्राउंड के मैदान में आयोजित समारोह में उन्हें सम्मानित किया था।
परिजनों के अनुसार अचानक तबीयत खराब होने के बाद 30 अप्रैल 2021 को कोविड-19 की जांच कराई। दो मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां 18 दिन उपचार चलने के पश्चात बेहतर उपचार के लिए एयर एंबुलेंस से चेन्नई की अपोलो अस्पताल ले जाया गया था। करोना के संक्रमण से महज चार दिन के अंदर ही ठीक हो गए थे। मगर फेफड़ा 100 फीसदी संक्रमित हो गया था। इसके बाद अस्पताल में इन्हें एक्मो मशीन की मदद से नया जीवन देने की कोशिश की जा रही थी।
एक सप्ताह पहले अचानक से उनका बल्ड प्रेशर कम हो गया था। अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करा दिया, यहां उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया। इतनी अधिक बीमारियां होने के कारण वह ठीक नहीं हो पाए। 8 महीने उपचार चलने के बाद उनकी चेन्नई के अस्पताल मौत हो गई। परिवार के लोगों ने बताया है कि इस इलाज के दौरान आठ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। एक्मो मशीन का खर्च ही हर दिन दो से तीन लाख रुपये था। वेंटिलेटर फेल हो जाने के बाद मरीज को एक्मो मशीन की जरूरत पड़ती है। इलाज में किसान धर्मजय सिंह के परिवार वालों ने 50 एकड़ जमीन बेच दी।
किसान धर्मजय सिंह के बड़े भाई प्रदीप सिंह एडवोकेट हैं। उन्होंने कहा है कि हमने अपने भाई को बचाने की पूरी कोशिश की। आठ करोड़ रुपये खर्च कर इलाज कराया है। पैसे की कमी को पूरा करने के लिए 50 एकड़ जमीन बेच दी। फिर भी भाई को नहीं बचा पाए। सरकार से भी ज्यादा मदद नहीं मिली है। इलाज के लिए सरकार की तरफ से चार लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली। हर दिन उनके इलाज पर एक से तीन लाख रुपये का खर्च आता था। भाई ने बताया कि उन्होंने कोविड महामारी के दौरान लोगों की सेवा खूब की थी। इसी दौरान संक्रमित हुए थे।