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भगवान श्रीराम के द्रोही को न्यायालय ने भी दिखाया कानून का आईना... लेने गया था जमानत

राम मंदिर के खिलाफ भड़काऊ बयान देने वाले पीएफआइ नेता की अग्रिम जमानत लखनऊ हाई कोर्ट ने खारिज की

Shiv Kumar
  • Apr 7 2021 7:15PM
अयोध्या में भागवान श्री राम के मंदिर की राह सुप्रीम कोर्ट से निकलने के बाद भी देश में समुदाय विशेष को भड़काने की कोशिश की गई थी। जिसमे सबसे बड़ा हांथ पीएफआइ का रहा था। जिसने देश को दंगों की आग में झोंकने की कई बाक कोशिश की है। श्री राम मंदिर को पीएफआइ के नेता के द्वारा भड़काऊ बयान देने वाले मामले में अग्रिम जमानत लखनऊ हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। 

दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीट ने बाराबंकी के कुर्सी इलाके में भाषण देते हुए धार्मि क भावनाएं भड़काने के आरोपित पीएफआइ नेता मोहम्मद नदीम की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अपने आदेश में जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि संविधान में बोलने के अधिकार का यह कतई तात्पर्य नहीं है कि दूसरे धर्म या समुदाय के खिलाफ बोला जाए और उसकी धार्मि क भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए।

बता दें कि बाराबंकी की कुर्सी पुलिस ने आरोपी नदीम के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने व राम मंदिर के खिलाफ अपशब्द कहने के मामले में आइपीसी की धारा 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। इसी मामले में उसने अग्रिम जमानत अर्जी दी थी। अर्जी का विरोध करते हुए अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कहा कि आरोपी के खिलाफ जांच के दौरान इस बात के पर्याप्त साक्ष्य आए हैं कि वह पीएफआइ का सक्रिय पदाधिकारी है और दूसरे धर्म के लोगों को भड़काने वाला भाषण दिया। 

बता दें कि श्री राम मंदिर के निर्माण के दौरान लखनऊ में हिंसा भड़ाकाने के लिए पीएफआइ ने पोस्टर लगाये थे। जिसमें कुर्सी थाना के गौरहार मजरे बहरौली के नदीम को गिरफ्तार किया था। वह इस संगठन का कोषाध्यक्ष बताया जाता है। यहा संगठन लगातार ऐसे मामलों में देश को दंगों की आग में झोंकने की कोशिश कर चुका है। दिल्ली दंगों मे भी इस संगठन की अहंम भूमिका रही थी।

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