जब भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण की बात दुनिया भर के हिंदुओं में श्रद्धा और आस्था के साथ चल रही थी तब उसी समय कुछ चरमपंथी और उनके सगे वामपंथी मंदिर से बढ़कर अस्पताल और अन्य चीजों को बताने और गिराने में लगे हुए थे, पर अचानक ही उन सब के स्वर बदलते दिखाई दे रहे हैं।
अब विकास कार्यों से कई बढकर इबादतगाह को गिनाया जाने लगा है और सरकार को सीधे सीधे यह बताया जा रहा है कि किसी भी विकास कार्य में उनकी मस्जिदों पर किसी प्रकार की आंच नहीं आनी चाहिए ।
जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से जारी एक प्रेस नोट के अनुसार जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने दिल्ली में चल रहे विस्टा प्रोजेक्ट के तहत आने वाली मस्जिदों को लेकर अपनी सोच सामने रख दी है. यह सोच सरकार और जनता के सामने समान रूप से रखी गई है।
जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से इस संबंध में,भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिख कर कहा है कि हर स्थिति में इन मस्जिदों की सुरक्षा को विश्वसनीय बनाया जाए। इस संबंध में किसी भी प्रकार का नकारात्मक रवैये या उपेक्षा को स्वीकार नहीं किया जाएगा और न ही कोई विकल्प की संभावना है।
ज्ञात रहे कि उपरोक्त डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के क्षेत्र के अंतर्गत
1- जाब्ता गंज मस्जिद( मानसिंह रोड)
2- रकाबगंज मस्जिद ( गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब के निकट)
3- कृषि भवन मस्जिद (कृषि भवन)
4- सुनहरी बाग रोड मस्जिद (निकट उद्योग भवन)
5- एक आम मस्जिद (जो कि बाद में उपराष्ट्रपति भारत सरकार हाउस का हिस्सा बना दी गई)
की मस्जिदें आती हैं।
इन मस्जिदों को लेकर लोगों में नकारात्मक शंकाएं और आशंकाएं पाई जा रही हैं। इस संबंध में जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने इन सारी मस्जिदों का पिछले दिनों दौरा भी किया है। और अलग-अलग सारी मस्जिदों के विवरण जमा किए हैं।
इस प्रतिनिधिमंडल में मौलाना के अतिरिक्त क़ारी अब्दुल समी, उपाध्यक्ष जमीयत उलमा दिल्ली राज्य। मौलाना ज़ियाउल्लाह क़ासमी, मौलाना यासीन जहाज़ी और अज़ीमुल्लाह सिद्दीकी शामिल थे।
जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह मस्जिदें हमारी प्राचीन विश्व धरोहर का भाग हैं। जिनकी हर परिस्थिति में सुरक्षा की जानी चाहिए। अगर इनको नुकसान पहुंचाया गया तो दुनिया भर में देश की बड़ी बदनामी होगी और एक विशेष वर्ग के दिल को बड़ी ठेस पहुंचेगी।
इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए भारत सरकार के पास ठोस प्लान होना चाहिए जिसको वह सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करने के साथ साथ घोषित भी करे। पत्र में कहा गया है कि उपरोक्त चारों मस्जिदें इस समय आबाद हैं।
और रही बात भारत के उपराष्ट्रपति आवास के क्षेत्र में स्थित मस्जिद की, तो जमीअत उलमा ए हिंद ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि उसे भी उसके अपने धार्मिक उद्देश्यों के लिए ही सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
हमारे पास यह प्रमाणित जानकारी है कि सन 2016 - 17 के अंत तक उपरोक्त मस्जिद भी आबाद थी। चूंकि उपराष्ट्रपति के आवास और उसके साथ जुड़ा कंपाउंड भी शहरी मामलों और आवास मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत आता है इसीलिए हम श्रीमान मंत्री महोदय (आवास और शहरी मामलों) से प्रार्थना करते हैं कि वह जमीयत के प्रतिनिधिमंडल को किसी भी निर्धारित समय पर इस मस्जिद का निरीक्षण करने की सुविधा उपलब्ध कराएं।
जमीअत उलमा ए हिन्द की टीम विधिवत इस मस्जिद का मुआयना करना चाहती है। या फिर यह सब कुछ पूरे विश्वास के साथ मालूम हो जाए कि उपराष्ट्रपति भारत सरकार के निवास स्थान क्षेत्र में स्थित मस्जिद अपनी पूर्णता असली स्थिति में सुरक्षित है। क्योंकि वह मस्जिद भी एक ऐतिहासिक स्थान रखती है।
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