ज्ञानवापी सर्वे के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में मथुरा की निचली अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है। मथुरा की एक अदालत ने ईदगाह मस्जिद को हटाने की एक याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में पूजा के स्थान अधिनियम 1991 लागू नहीं होता है, क्योंकि समझौता डिक्री विभाजित है। विवादित जमीन के मसले पर कानून बनने से काफी पहले वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किए गए थे।
मथुरा कोर्ट ने एक दीवानी कोर्ट के शाही ईदगाह को हटाए जाने की याचिका को खारिज किए जाने के फैसले को पलट दिया। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दोस्त बताने वाली रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से समझौता और उसके बाद समझौता डिक्री को चुनौती दी गई है। मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 (3) (बी) लागू नहीं होगा। एक्ट की धारा 4 की उपधारा 2 में साफ किया गया कि यह एक्ट पूर्व में कोर्ट की ओर से सुलझाए गए या समझौता कराए गए मामलों पर लागू नहीं होता है।