आतंकी नोमान कहता था- "मज़ा आता है हिंदुओं के कत्ल में".. फिर भी खूब खेला गया था सेक्युलरिज़्म का खेल
जबकि BSF के वीरों ने प्राण दे कर पकड़वाया था उस दरिंदे को.
आज भारत के सीमा सुरक्षा बल प्रथा अर्थात भारत के दो शूरवीरों का बलिदान दिवस है। इन महावीर नाम शुभेंदु और रॉकी है। जम्मू के पास की है घटना है जब इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान से भारत में घुसे दो इस्लामिक आतंकियों ने निर्दोष हिंदुओं को खत्म करने के मंसूबे पालकर भारत में प्रवेश किया और उनका सामना भारत के सीमा सुरक्षा बल अर्थात बीएसएफ की एक टुकड़ी से हो गया जो बस से किसी और जगह के लिए प्रस्थान कर रही थी। भारत को किसी भी हाल में नुकसान पहुंचाने की मंशा रखने वाले यह दोनों नर पिशाच बीएसएफ की बस पर गोलियां बरसाने लगे और उनका मुकाबला करने के लिए सबसे आगे योद्धा रॉकी आया।
इस बीच बीएसएफ की बस को चला रहे शुभेंदु के गोलियां लगी लेकिन उन्होंने बाकी जवानों को बचाने के लिए बस को चलाना जारी रखा और रॉकी ने आतंकियों पर गोलियां बरसाना। रॉकी की गोली से दरिंदे नोमान का एक साथी मौके पर ही ढेर हो गया और नोमान गिरफ्तार कर लिया गया। आनन-फानन में भीड़ जमा होने लगी और हिंदू बहुल क्षेत्र की भीड़ उस आतंकी को वही मार कर खत्म करने पर आमादा हो गई थी। लेकिन एक नए शब्द मॉब लिंचिंग के खोजकर्ता अचानक ही सक्रिय हो गए और भारत के नियम कानून और संविधान के तहत उस नर पिशाच नोमान को बचाने के लिए पुलिस बल पहुंच गया। अपनी गिरफ्तारी के ही समय दरिंदे नोमान ने यह कहा कि वह पाकिस्तान से भारत इसलिए आया है क्योंकि उसे हिंदुओं के कत्ल में बहुत मजा आता है।
पुलिस वालों ने हिन्दुओ का नरसंहार करने आये आतंकी नरपिशाच नोमान को बचाया और संवैधानिक प्रक्रिया के लिए जेल भेज दिया। पाकिस्तान के दुर्दांत आतंकी और भारत की बीएसएफ के जवानों के इस हत्यारे को कश्मीर की जेल में पूरी सुख सुविधा और व्यवस्था मिली। इतना ही नहीं इसके कानूनी मदद के सभी प्रावधान किए गए। यह सब कुछ हुआ था उस तथाकथित सेकुलरिज्म के नाम पर जिसकी ऐसी परिभाषा भारत के कुछ नेताओं ने गढ़ रखी है जिसका दूसरा उदाहरण संसार में कहीं और भी देखने को नहीं मिलेगा और कुल मिलाकर के यह सीधे-सीधे देशद्रोह से मिलती-जुलती कहानी है।
इसके बाद सेकुलरिज्म से मिले इसी मनोबल के चलते पाकिस्तानी आतंकी आउट हिंदुओं के कत्ल में मज़ा लेने वाला नोमान भारत के जवानों को फिर से मार कर जेल से फरार हो गया था और अपने नरसंहार के मंसूबों को पाली फिर कश्मीर में घूम रहा था। यद्यपि उसके नापाक मंसूबे बहुत ज्यादा दिन नहीं चल पाए और भारत के जवानों ने उस नर पिशाच को दोबारा जल्द ही खोज निकाला और भेज दिया उसको उसके असल ठिकाने पर। नोमान को ढेर कर दिया गया . गौर करने योग्य है कि नोमान भले ही ढेर हो गया हो लेकिन नोमान जैसे को पसंद करने वाले उसको संरक्षण देने वाले और उसको मदद करने वाले लोग आज भी इसी भारत में सेकुलरिज्म नाम के एक आवरण में पूरी तरह से सुरक्षित है जिन्हें बलिदान हुए बीएसएफ के जवानों शुभेंद्र और रॉकी से कोई संवेदना नहीं।
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