कुछ ने कहा चैनल को बंद कराना है तो कुछ ने कहा सुरेश को जेल भेजो। किसी ने विज्ञापन कंपनियों को आंखें दिखाएं तो किसी ने स्टाफ पर दबाव बनाए। पर चैनल जो का त्यों चलता रहा क्योंकि दूसरी तरफ आशीर्वाद था मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का। सुरेश जी तो 1 निमित्त मात्र थे.. आज भले ही भगवान श्री राम के नाम के आगे तमाम वामपंथी वर्ग भी प्रभु और मर्यादा पुरुषोत्तम जोड़ रहा हूं परंतु यह उस समय की बात है जब भगवान श्री राम के वास्तविक और काल्पनिक तक की चर्चाएं चैनलों पर हुआ करती थी। अगर थोड़ा सा पीछे समय में जाकर देखेंगे तो निश्चित तौर पर सब कुछ याद आएगा और अगर याद ना आए तो सारा सबकुछ यूट्यूब चैनलों पर उपलब्ध है।
बहुत ज्यादा पुरानी बात नहीं हुई है यह। तथाकथित सेकुलर नेताओं से खचाखच भरी हुई थी भारत की राज्य सभा और उसमें चल रहा था शेरो शायरी का दौर। उस समय हिंदू हिंदुत्व भगवा और श्री राम जैसे शब्द संघर्ष कर रहे थे तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के उस दलदल से निकलकर बाहर आने के लिए जिसमें यह सब शब्द सीधे-सीधे सांप्रदायिकता घोषित कर दिए जाते थे। नेता लोग एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप करके हंसी ठिठोली कर रहे थे अचानक ही वहां खड़े हुए तब के समाजवादी नेता और मुलायम सिंह के संगठन में शीर्ष 5 की हस्ती रखने वाले नरेश अग्रवाल। उन्होंने बात को नेताओं से बढ़ाकर सीधे-सीधे हिंदू देवी देवताओं तक पहुंचाया और ना सिर्फ भगवान श्रीराम बल्कि श्री हरि विष्णु प्रभु हनुमान और माता सीता तक को अपने बेहद ही निंदनीय चुटकुले में लपेट डाला।।
सबसे खास बात यह है कि किसी के अन्य मत मजहब पर टिप्पणी करने वाले कमलेश तिवारी के ऊपर रासुका तक लगा देने वाले उन तथाकथित सेकुलर नेताओं ने इस बात पर ठाकर लगाए और इसको मात्र एक मजाक में लिया गया उस समय मीडिया जगत से एकमात्र विरोध सुरेश जी ने किया और उनके विरोध पर दर्जनों सांसद एकजुट हो गए परंतु एकजुटता भगवान श्री राम के विरुद्ध बोलने वाले नरेश अग्रवाल नहीं बल्कि भगवान श्री राम के समर्थन में बोलने वाले सुरेश जी के विरुद्ध थी। असल में यही सेकुलरिज्म के सिद्धांत हैं जो स्वतंत्रता के बाद अब तक भारत में ज्यों के त्यों निभाए जा रहे हैं। सुरेश जी ने अपने कदम जरा सा भी नहीं खींचे और अपने साथ-साथ भारी आर्थिक संकट झेलते हुए भी भगवान श्री राम के लिए अटल रहे अडिग रहे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसी टीवी चैनल के मालिक के विरुद्ध एक साथ इतने सांसद खड़े हुए थे जिनका नेतृत्व संभल के जावेद अली ने भी किया था।