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अब रोहिग्या जो कर रहे वो है और भी भयावह..इशारा साफ - "नहीं छोड़ना है भारत"

किस हद तक रची जा रही है साजिश भारत मे असंतुलन की जानिए इस रिपोर्ट में.

Rahul Pandey
  • Jul 24 2020 12:54PM

उन्हें बेसहारा, मासूम और न जाने किन किन नामो से बुलाया गया..कुछ ने उनके लिए सीमाओं को खोल देने की मांग की तो कुछ ने उनकी तमाम तस्वीरों को मीडिया में दिखा कर खूब आंसू बहाए.. बौद्धों की निर्मम हत्या कर के आमने सामने के युद्ध मे बुरी तरह से हारे वो दरिंदे भारत की भूमि पर आ कर जम गए हैं और यहां शांति व प्रेम से रहने के बजाय अभी से शामिल हो गए हैं कई ऐसे अपराधों में जो किसी के लिए सोच भर लेने पर सिरहन पैदा करने लगता है..जी हां, यहां बात बौद्धों के हत्यारे व दुनिया के सबसे क्रूर आतंकी कहे जाने वाले रोहिग्या की हो रही है जो अब अपने नए दांव पेंच से यह जता रहे हैं कि वो किसी भी हाल में भारत भूमि को छोड़ने के लिए तैयार नही है..

यद्द्पि उन्हें अभी भो तथाकथित सेक्युलर न मानवाधिकार समूह के साथ भारत का बॉलीवुड भी खूब सहयोग कर रहा है.. गौर करने लायक ये हैं कि CAA NRC प्रदर्शन निष्फल हो जाने के बाद अब रोहिग्या आतंकियो ने नई चाल चलनी शुरू कर दी है.. उन्होंने इसी कानून की बारीकियों का फायदा उठाना शुरू कर दिया है..भारत में रह रहे अफगान और रोहिंग्या मुसलमान नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का फायदा लेने के मकसद से ईसाई बन रहे हैं। उनका मानना है कि इससे भारतीय नागरिकता लेने की उनकी राह आसान हो जाएगी।

‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटनाक्रम से वाकिफ केंद्रीय एजेंसियों ने सरकार को अवगत कराया है कि अफगान मुसलमानों के ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लगभग 25 मामले हाल में सामने आए हैं। दक्षिणी दिल्ली में एक अफगान चर्च के प्रमुख, आदिब अहमद मैक्सवेल ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सीएए के बाद, धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने वाले अफगान मुसलमानों की संख्या में तेजी आई है।

CAA रोहिंग्या मुस्लिमों को भारतीय नागरिक नहीं बनाता
यहाँ यह बताना आवश्यक है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ था। यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धार्मिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है। चूँकि, रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं, जिन्होंने बांग्लादेश के माध्यम से भारतीय भूमि में प्रवेश किया है, इसलिए भारत सरकार ने उन्हें स्वीकार करने और उन्हें भारतीय नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। इस प्रकार से भारत रोहिंग्याओं को स्वीकार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों से भी बाध्य नहीं है।

पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन विधेयक (जो कि अब अधिनियम बन चुका है) बहस के दौरान, गृह मंत्री अमित शाह ने देश में रोहिंग्याओं को स्वीकार करने के लिए स्पष्ट रूप से मना कर दिया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि शरणार्थियों पर अंतरराष्ट्रीय कानून भारत पर एक संप्रभु देश के रूप में बाध्यकारी नहीं होंगे।

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