कोरोना संक्रमण काल में यदि कहा जाय कि ऑक्सीजन से ज्यादा कीमती आज कुछ भी नही है तो गलत न होगा। देश में चल रही हर ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन का अब एक ही ठिकाना है और वह है बोकारो। आखिर क्यों हर ऑक्सीजन ट्रैन का गंतव्य बोकारो है?
अकेले बोकारो स्टील में लगभग 1500 मैट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन प्रतिदिन होता है। इसमें से सात सौ मैट्रिक टन ऑक्सीजन स्टील प्लांट में तो आठ सौ मैट्रिक टन गैस उत्पादन करने वाली छोटी इकाइयों को दिया जाता है। फिलहाल सरकार के निर्देश के बाद मेडिकल गैस को रिफिल करने वाली इकाईयों को अधिक से अधिक गैस दी जा रही है।
बोकारो की आक्सीजन फिलहाल देश के दूसरे राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र को भी भेजी जा रही है। यह आपूर्ति सेल की पाटर्नर कंपनी आइनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से की जा रही है। जबकि बोकारो में तीन कंपनियों के पास मेडिकल सिलेंडर बनाने का लाइसेंस हैं। इसमें बोेकारो गैसेज, मां चित्रलेखा, इस्टर्न आक्सीजन शामिल है। इसी प्रकार रांची में महेश्वरी मेडिकल, एस के इंडस्ट्री और ऑक्सीजेड मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति करते हैं।
राज्य में टाटा स्टील व बोकारो स्टील सबसे बडी आक्सीजन उत्पादक कंपनी है। एक ओर जहां बोकारो स्टील के आक्सीजन का प्रबंधन आइनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड करता है तो टाटा स्टील का प्रबंधन लिंडसे इंडिया और एयर वाटर जमशेदपुर करते हैं। निजी कंपनियां स्टील प्लांट की जरूरत के अनुसार आक्सीजन उपलब्ध कराने के बाद शेष आक्सीजन छोटी इकाइयों को देते है। इन्हीं तीन कंपनियों पर छोटी आक्सीजन इकाई निर्भर है।