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Karnataka: ज्ञानवापी के बाद श्रीरंगपटना जामा मस्जिद पर हिंदुओं का दावा.....हनुमान मंदिर को तोड़ बनाया गया है मस्जिद

आपको बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एक मंच के सदस्यों ने कर्नाटक में मांड्या जिला प्रशासन से संपर्क किया है। मंच का अनुरोध है कि हिंदुओं को इस जगह पर पूजा करने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही मंच का दावा है कि यहां खंडहर पर एक हनुमान मंदिर हुआ करता था।

Shanti Kumari
  • May 17 2022 4:20PM

देश में अब ऐसा समय आ गया है जहां कट्टरपंथी इस्लामिकों द्वारा मंदिरों को तोड़ बनाए गए मस्जिदों को उखाड़ कर फेंक दिया जाए। जी हां अब हिंदू संघ जाग उठा है और अपने हक की लड़ाई लड़नी शुरु कर दी है। बता दें कि जहाँ अभी ज्ञानवापी को लेकर विवाद चल ही रहा है कि इसी बीच कर्नाटक से भी एक वैसी ही खबर सामने आ रही है। दरअसल, कर्नाटक में हिंदुओं ने श्रीरंगपटना जामा मस्जिद (jama masjid of srirangapatna) में पूजा करने की अनुमति मांगी है।

बता दें इस दावे के पीछे नरेंद्र मोदी विचार मंच (narendra modi vichar manch) का मानना है कि श्रीरंगपटना में जामिया मस्जिद टीपू सुल्तान के शासन के दौरान बनाई गई थी। यहां पर पहले एक हनुमान मंदिर हुआ करता था। टीपू सुल्तान के शासन के दौरान 1782 के आसपास निर्मित श्रीरंगपटना में जामिया मस्जिद बेंगलुरु से करीब 120 किमी. दूर स्थित है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा बनाए रखा जा रहा एक विरासत स्थल है। यहां पर फिलहाल एक मदरसा भी संचालित किया जाता है।

आपको बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एक मंच के सदस्यों ने कर्नाटक में मांड्या जिला प्रशासन से संपर्क किया है। मंच का अनुरोध है कि हिंदुओं को इस जगह पर पूजा करने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही मंच का दावा है कि यहां खंडहर पर एक हनुमान मंदिर हुआ करता था।

नरेंद्र मोदी विचार मंच के राज्य सचिव सीटी मंजूनाथ, जो प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। उन्होंने मांड्या के उपायुक्त से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में हिंदुओं को मस्जिद में पूजा करने की अनुमति देने की मांग की गई। उनका मत है कि “टीपू सुल्तान द्वारा फारसी में एक शासक को पत्र लिखा गया था। यह दस्तावेज साक्ष्य यह बताते हैं कि मस्जिद बनने से पहले यहां पर एक हनुमान मंदिर था। इसके साथ ही खंभों और दीवारों पर शिलालेख हमारी मान्यता का समर्थन करते हैं। हमारा प्रशासन से अनुरोध है कि हिंदुओं को मस्जिद में पूजा करने की अनुमति प्रदान की जाए।

कर्नाटक के पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा, जिन्होंने हाल ही में एक ठेकेदार की आत्महत्या से मौत के बाद एक एफआईआर में अपना नाम सामने आने पर इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना है कि मुस्लिम नेता भी यह स्वीकार करते हैं कि मस्जिद बनने से पहले एक मंदिर मौजूद था। दरअसल उनका कहना था कि "मुगल शासन के दौरान करीब 36,000 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था। हम बिना कोई परेशानी पैदा किए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सभी मंदिरों को फिर से हासिल करेंगे।"


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