नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का बयान दिया है भगवान राम नेपाली हैं और असली अयोध्या नेपाल में है। भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण कर उसे अपने देश मे स्थापित कर लिया है। तुलसीदास कृत रामायण के मुख्य पात्र राजकुमार राम बीरगंज के पास एक गांव के थे, ऐसा नेपाली पीएम का कहना है। अब कोई अगर नेपाली पीएम से पूछे अगर अयोध्या नेपाल आ गयी तो सरयू कहाँ से लाओगे? क्योंकि इन्ही तुलसी बाबा ने अपनी रामचरित मानस में यह कहते हुए अयोध्या का जिक्र किया है कि "जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि, उत्तर दिसि बह सरजू पावनि"
हकीकत यह है कि के.पी.शर्मा ओली अच्छी तरह जानते हैं कि अयोध्या और प्रभु राम दोनों नेपाल को भारत से अभिन्न करते हैं। नेपाल को भारत के निकट लाने और भारत को नेपाल के निकट रखने में अगर कोई सबसे महत्वपूर्ण तत्व है तो वह हैं प्रभु श्रीराम और उनकी जन्मभूमि अयोध्या। अब चूंकि ओली आजकल नेपाल को भारत से दूर ले जाने के अपने चीनी मिशन पर हैं, इसलिए वो इस तरह के कुतर्क के जरिये अपनी नीचता और ढीठता का प्रदर्शन कर रहे हैं।
हमारे आराध्य राम की ससुराल अयोध्या है। सदियों से राम बारात अयोध्या से चलकर नेपाल के जनकपुर जाती रही है। ये वही राम बारात है जिसमें स्वयं मोदीजी भी शिरकत कर चुके हैं। जिस कार्यक्रम में कम्युनिस्ट नास्तिक ओली ने हमारे पीएम से धार्मिक दूरी बना ली थी। जबकि पीएम मोदी की भजन मंडली के साथ झांझ बजाते हुए दिव्य शोभा हो हुई थी। खैर उन ओली की क्या बात की जाय जो नास्तिक होते हुए भी राम और अयोध्या का चिंता कर रहे हैं। जबकि अपने शपथ ग्रहण में उन्होंने ईश्वर शब्द हटवा कर ही शपथ ली थी।
के.पी. शर्मा जैसा एक नास्तिक पात्र रामायण में भी है, जिसे कालनेमि कहा गया है। जो रामकाज बिगाड़ने के लिए राम राम रट रहा था। लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी लेने जाते हैं तो रास्ते में उन्हें भटकाने के लिए कालनेमि जोर जोर से राम राम की रट लगाता है, ताकि हनुमान जी को रोक कर लक्षमण के प्राणों को संकट में डाला जा सके। ठीक उसी तरह ओली भी राम राम की रट लगाकर भारत और नेपाल के लोगों के बीच स्थापित मधुर संबंधों को संकट में डालना चाहते हैं। न तब रावण के इशारे पर काम कर रहा कालनेमि अपने कलुषित अभियान में सफल हुआ और न अब पापी चीन के इशारे पर काम कर रहे ओली होंगे।