बीते कई दशकों से भगवान श्रीराम के मंदिर के इन्तजार में बैठे न जाने कितने हिन्दुओ की आस्था को चोट तब पहुंचती है जब कोई उनके प्रभु श्री राम को महज़ एक काल्पनिक सोच बता देता है। एक तरफ जहां न जाने कितने स्वयंसेवको के त्याग और मेहनत से अयोध्या नगरी फिर से 'श्रीराम नगरी' बनने जा रही है यानी श्रीराम का मंदिर अब बनने जा रहा है वही दूसरी तरफ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालो की 'फेहरिस्त' में अब एक नाम और जुड़ गया है, और वो नाम है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का।
दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि- "भगवान श्रीराम काल्पनिक व्यक्ति हैं। उन्होंने श्रीराम को महापुरुष मानने से भी इनकार किया।"
हां, उन्होंने यह जरूर कहा कि- "रामायण में जो बातें बताई गई हैं, वो सीखने वाली हैं। रामायण के संदेश बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक हैं। रामायण महिलाओं के सम्मान या बड़ों के लिए आदर की शिक्षा देता है। जहां तक रामायण में शामिल बातों को स्कूली शिक्षा में शामिल करने की बात है, ऐसा किया जाना चाहिए, ताकि लोग अच्छी बातें सीख सकें।"
साथ ही उन्होंने कहा कि- " रामायण कथा में कई श्लोक और संदेश ऐसे हैं, जो लोगों के बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक हैं। महिलाओं के सम्मान की बात हो या फिर बड़ों के आदर की बात हो, रामायण शिक्षा देती है। रामायण में शामिल बातों को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, ताकि लोग इससे शिक्षा लें। "
मांझी के बयान से गुस्से में हैं भाजपा नेता
जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद भाजपा में काफी आक्रोश है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि राम के अस्तित्व को तो नासा तक ने माना है। जितनी बार पुरातत्व विभाग ने खुदाई की राम के अस्तित्व को स्वीकारा है। पुरुषोतम राम के व्यक्तित्व से सबको शिक्षा लेनी चाहिए। उसे पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहिए। इशारों-इशारों में जीतन राम मांझी पर हमला करते हुए बिना नाम लिए प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि जिन्होंने अब तक राम को नहीं पढ़ा है, वो नासमझ है। अपनी समझदारी बढ़ाना चाहते हैं, तो रामायण पढ़ें।
मध्यप्रदेश के पाठ्यक्रमों में शामिल होगी रामायण
मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में महाभारत और रामायण महाकाव्यों को शामिल करने का निर्णय लिया है। शिवराज सरकार के अनुसार, तकनीकी शिक्षा में सांस्कृतिक सिद्धांतों को जोड़ने के प्रयास के तहत यह निर्णय लिया गया है। ऐसे में भाजपा कोटे से बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, वन व पर्यावरण मंत्री नीरज सिंह बबलू और खान भू-तत्व मंत्री जनक राम भी पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल कराने की मांग करने लगे हैं। हालांकि, उनकी मांगों पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने ऐसी कोई मांग से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे पास ऐसा कोई प्रपोजल नहीं आया है, जब प्रपोजल आएगा, तब देखा जाएगा।