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2 अक्टूबर- 4 दुर्दांत आतंकियों को ढेर कर के वीरगति पाने वाले भारत के शूरवीर हंगपन दादा जयंती. 3 को मारी थी गोली और चौथे के प्राण लिए थे 1 हाथ से पटक कर

जयंती उस माहावीर की जिनकी भुजाओ का यशगान आज भी गा रहा है हिमालय.

Rahul Pandey
  • Oct 2 2020 8:52AM
गोलियां के छलनी होने के बाद भी अपनी पोजीशन से टस से मस ना होने के बाद 3 आतंकियों को अपनी बन्दूक का निशाना बनाने वाले और घायल होने के बाद चौथे आतंकी को पटक कर खत्म कर देने के बाद कुल 4 इस्लामिक आतंकियों को अकेले मौत की नींद सुला कर भारत माता की गोद में सदा के लिए चिरनिद्रा में विलीन हो गए अमर बलिदानी हंगपन दादा को आज जयंती पर सुदर्शन न्यूज की तरफ से अश्रुपूरित और भावभीनी श्रद्धांजलि वो चरण वंदना …

पिछली ही साल २६ मई २०१६ का दिन था जब जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के नौगाम सेक्टर के शम्शाबाड़ी में सेना एक तमाम ठिकानों का आपस में सम्पर्क कुछ कारणों से टूट गया था . ४ कुख्यात इस्लामिक आतंकियों के भागने की सूचना पर हंगपन दादा को उन्हें पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया था …

हंगपन दादा अपनी जांबाज़ टुकड़ी के साथ सीमा रेखा पर शमशरी छोटी के पर बेहद तेजी से दुम दबा कर भाग रहे आतंकियों का पीछा कर रहे थे . उस युद्ध क्षेत्र की ऊंचाई थी १३००० फ़ीट और इस जांबाज़ ने आखिर में उन्हें खोज ही निकाला और घेर लिया ..मौत को सामने देख कर आतकियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी और सुरक्षित पोजीशन ले ली .

ऐसे हालत में हवलदार हंगपन दादा ने अपनी टुकड़ी का नेतृत्व खुद करने का फैसला किया और पत्थरों की आड़ में छुपकर अकेले आतंकियों के बिलकुल निकट पहुंच गए थे . पास पहुंच कर उन्होंने २ आतंकियों को तत्काल अपनी बंदूक का निशाना बनाया और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया …  

इस मुठभेड़ में उन्हें भी गोलियां लगी थी पर वो तीसरे भाग रहे आतंकियों को घायल होते हुए भी दौड़ा लिए और उसको अपनी बलिष्ठ भुजाओं में जकड़ पर पटक दिया … कुछ देर की मुठभेड़ के बाद हंगपन दादा ने उसको भी उसके अंजाम तक पंहुचा दिया ….इस बीच उनकी टुकड़ी ने चौथे आतंकी को भी घेर कर मारा गिराया.

इस मुठभेड़ में बुरी तरह घायल हंगपन दादा को सेना के अस्पताल में ले जाया गया जहाँ बुरी तरह घायल और अत्यधिक खून निकल जाने के बाद अगले दिन 27 मई को अरुणांचल के बोरदुनिया गाँव में 2 अक्टूबर 1979 को जन्मा ये महावीर सदा सदा के लिए भारत माता की गोद में सो गया . इनके बलिदान का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने 15 अगस्त 2016 को इनके परिजनों को सेना के वीरता मेडल अशोक चक्र से सम्मानित किया ..

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