खुदीराम के बलिदान का अपमान किसी अंग्रेज ने नहीं बल्कि नेहरू ने किया था..वो दर्द खुदीराम की आत्मा के साथ आज भी महसूस करता है देश
जनिये कब और क्या कहा था जवाहरलाल नेहरू ने वीर की आत्मा को कष्ट पहुँचाते हुए.
कांग्रेस जवाहर लाल नेहरू को आज़ादी के प्रमुख स्तम्भों में से एक बताती है उन्होंने खुली सभा में सार्वजनिक रूप से अमर बलिदानी खुदीराम बोस जी के महानतम बलिदान को तब अपमानित किया था जब वो बिहार के मुजफ्फरपुर दौरे पर थे . इस वीर बलिदानी के स्मारक का निर्माण तक नहीं करवाया गया और मजबूर हो कर जनता ने अपने पैसे से खुदीराम बोस की प्रतिमा का निर्माण किया . इस निर्माण के बाद लम्बे समय तक उद्घाटन की बाट जोहती इस वीर की प्रतिमा का जब उद्घाटन का समय आया तो जवाहर लाल नेहरू जो उस समय देश के प्रधानमंत्री थे ने एक बेहद ही निंदनीय कार्य किया था.
असल में दिसंबर 1949 में जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु मुजफ्फरपुर में पहले पॉलिटिकल कांफ्रेस में भाग लेने आये तो उन्हें प्रतिमा के अनावरण और बलिदान स्थल के उद्घाटन के लिये आमंत्रित किया गया. जवाहरलाल नेहरु ने अमर बलिदानी खुदीराम बोस की प्रतिमा और बलिदान स्थल का उद्घाटन करने से साफ़ साफ़ मना कर दिया और खुदीराम बोस को खूनी करार दे दिया . उन्होंने साफ़ साफ़ कहा की वो ऐसे किसी भी व्यक्ति के किसी भी कार्य का समर्थन नहीं कर सकते न ही उसको सम्मान दे सकते हैं जो किसी भी प्रकार की हिंसा में लिप्त रहा हो.
जवाहर लाल नेहरू के इस कथन ने उनके मंगल पांडेय से ले कर चंद्रशेखर आज़ाद , भगत सिंह , सुभाष चंद्र बोस , राम प्रसाद बिस्मिल , राजगुरु आदि के लिए उनके मन में छिपे भाव उजागर कर दिए थे क्योकि ये सभी आज़ादी के वो महायोद्धा थे जिन्होंने आज़ादी के लिए रक्त की होली खेली थी.. ये योद्धा अमरता को प्राप्त हुआ जब उसके हाथ में भगवान कृष्ण का मानवमात्र के लिए आदेश श्रीमद्भागत गीता हाथ में थी .
सहयोग करें
हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प