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संसार के समस्त सनातनियों को भगवान गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं.. जानिए आज पूजन विधि व पौराणिक महत्व

आज पूरे संसार के सनातनी मना रहे हैं अपने आराध्य देव का पर्व Ganesh Chaturthi

Rahul Pandey
  • Aug 22 2020 7:09AM
भगवान महादेव शिव व जगत जननी माँ पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी की पावन चतुर्थी है आज.. ये वो देव हैं जिनका नाम किसी भी शुभ अवसर पर सबसे पहले व प्रमुखता से लिया जाता है ..अपनी लीलाओं के चलते सभी देवों के प्रिय श्री गणेश जी से माता पिता की सेवा हेतु वो शिक्षा ली जा सकती है जो आज आधुनिकता की दौड़ में भाग रहे लोगों के टूट रहे परिवार व माता पिता की उपेक्षा करने वालों को सन्मार्ग पर लाया जा सकता है ..

गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन तक चलने वाला महापर्व जो अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त हो जाता है ,और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं ।
पूजा की सामग्री।

गणेश जी की पूजा करने के लिए चौकी या पाटा, जल कलश, लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चन्दन, जनेऊ गंगाजल, सिन्दूर चांदी का वर्क लाल फूल या माला इत्र मोदक या लडडू धानी सुपारी लौंग, इलायची नारियल फल दूर्वा, दूब पंचमेवा घी का दीपक धूप, अगरबत्ती और कपूर की आवस्यकता होती है।

पूजन विधि-

भगवान गणेश की पूजा करने लिए सबसे पहले सुबह नहा धोकर शुद्ध लाल रंग के कपड़े पहने। क्योकि गणेश जी को लाल रंग प्रिय है। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा में या उत्तर दिशा में होना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद गंगा जल से स्नान कराएं। गणेश जी को चौकी पर लाल कपड़े पर बिठाएं। 

ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें। गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क लगाएं। लाल चन्दन का टीका लगाएं। अक्षत (चावल) लगाएं। मौली और जनेऊ अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प या माला आदि अर्पित करें। इत्र अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करें। नारियल चढ़ाएं। पंचमेवा चढ़ाएं। फल अर्पित करें। 

मोदक और लडडू आदि का भोग लगाएं। लौंग इलायची अर्पित करें। दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं पुन: आरती पुष्पांजलि करें इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। गणेश जी की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष व संकट नाशन गणेश आदि स्तोत्रों का पाठ करें तो और भी अच्छा है

ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभः।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।

108 बार ऊं गं गणपतये नमः का जाप करें या गणेश अथर्वशिर्ष का पाठ करें । अगर कोई विशेष संकट के दौर से गुजर रहे हैं हैं तो संकट नाशक गणपति स्तोत्र का ११ पाठ करें गणपति सम्मुख बैठकर ।।

गणेश चतुर्थी ( Ganesha Chaturthi ) पर निषिद्ध चन्द्र-दर्शन

गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्ज्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है। अगर भूल वस चन्द्र दर्शण हो जाता है तो भागवत कथा में स्मनत्तक मणी का कथा श्रवण करें । इस कथा के श्रवण मात्र से दोष दूर हो जाते हैं।

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