पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर होता अत्याचार थम नहीं सकता। टारगेट पर ले कर हिन्दुओं पर बेरहमी से अत्याचार किए जा रहे हैं। हिन्दुओं के मंदिर को तोडा जाता है, हिंदू बच्चों को दाखिला नहीं मिल पाता, प्रवासी भारतीयों को पाकिस्तान में तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है, पाकिस्तान में हिंदुओं के बलपूर्वक धर्म बदलवाने की घटनाएं बहुतायत में हैं, हिंदू लड़कियों के लिए पाकिस्तान में रहना मुश्किल होता जा रहा है, हिंदुओं और सिखों से जबरदस्ती जजिया टैक्स वसूला जाता है.
हिंदू कर्मचारियों की हालत भी बहुत बेहतर नहीं स्कूलों की किताबों में पाठ्यक्रम ऐसा है जो हिंदुओं के प्रति विद्वेष ज्यादा फैलाता है, हिंदुओं से उनकी बड़े पैमाने पर जमीन छीनी जा चुकी है, हिंदुओं को ना तो अच्छी नौकरी मिल पाती है और ना ही बैंक से लोन स्कूलों में अल्पसंख्यक बच्चों को कुरान पढ़ना अनिवार्य है इतनी मुश्किल का सामना करने के बावजूद हिन्दू वहां रह रहे है और अगर इसके बावजूद भारत सरकार CAA कानून ला रही है तो इसके ऊपर भारत के मुसलमानों को एतराज क्यों?
एक खबर सामने आई है जिसके जानने के बाद आप भी चिंतित हो जाएंगे। ऊपर पढ़कर आप यह समझ रहे होंगे की आखिर इतनी परेशानियों के बावजूद कैसे रह रहे है वो लोग। तो एक खबर आपको बता दूँ पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा की है, जहाँ हिन्दू के मंदिर को पहले तो तोडा गया उसके बाद जिसने तोडा उससे नहीं बल्कि वहां के हिन्दुओं से ही जुरमाना वसूल किया जा रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार हिंदू काउंसिल पर उन इस्लामी कट्टरपंथियों के बदले जुर्माना भरने का दबाव बनाया जा रहा है जो करक में एक मंदिर पर हुए हमले में शामिल थे।
इन पर सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया था। हमले में शामिल 11 मौलवियों पर लगाया गया जुर्माना हिंदू पहले ही भर चुके हैं। अब उन पर इस मामले के आरोपित अन्य 100 से अधिक इस्लामी कट्टरपंथियों का जुर्माना देने का भी दबाव है।
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने खैबर-पख्तूनख्वा (केपी) सरकार की आपत्तियों के बावजूद प्राथमिकी में नामित आरोपितों से मंदिर के पुनर्निर्माण शुल्क के तौर पर 3.30 अरब रुपए की वसूली का आदेश दिया था। रिपोर्ट से पता चला था कि हमले में शामिल स्थानीय मौलवी मंदिर के पुनर्निर्माण में बाधा उत्पन्न कर रहे थे।रिपोर्ट में एक स्थानीय हिंदू नेता के हवाले से बताया गया है कि समुदाय पूरी तरह असहाय है।
एक स्थानीय हिंदू नेता ने कहा कि समुदाय पूरी तरह से असहाय था, क्योंकि सरकार की भागीदारी के बावजूद डिप्टी कमिश्नर ने स्थानीय मौलवियों के डर से पुनर्निर्माण चरण के दौरान मंदिर के विस्तार में उनकी मदद करने से इनकार कर दिया। इसलिए समुदाय इन मौलवियों को और अधिक नाराज नहीं करना चाहता था और उन्होंने हिंदू परिषद के फंड से अपने हिस्से का जुर्माना देने का फैसला किया।
सरकार की भागीदारी के बावजूद उपायुक्त ने स्थानीय मौलवियों के डर से मंदिर पुनर्निर्माण के दौरान मदद से इनकार कर दिया। लिहाजा हिंदू इन मौलवियों को और अधिक नाराज नहीं करना चाहते। यही कारण है कि हिंदू काउंसिल से उन पर लगा जुर्माना देने का फैसला किया गया।