चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीख के एलान के साथ ही उत्तर प्रदेश में राजनीती सरगर्मी परवान चढ़ बोल रही है. एक तरफ जहाँ चुनाव की तैयारियां चल रही है तो एक तरफ नेता का इधर से उधर होना चल रहा है अर्थात दल बदलना. भाजपा जहाँ उत्तर प्रदेश में फिर से दोबारा अपनी सरकार बनाने के लिए प्रयास कर रही है. तो वहीँ समाजवादी पार्टी की भी यह साख की लड़ाई है. कांग्रेस भी रण में कूद चुकी है. तो बसपा भी वोट समीकरण तैयार करने में लग गई है. राज्य में एक बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ने सियासी अटकलों को तेज कर दिया है. क्योंकि राज्य में चर्चा है कि राजभर एक बार फिर बीजेपी के साथ गठबंधन में आ सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजभर की बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने शनिवार को मुलाकात हुई. हालांकि इस मुलाकात का खुलासा नहीं हुआ है. लेकिन राज्य में इस बात की अटकलें शुरू हो गई हैं कि ओमप्रकाश राजभर को फिर से बीजेपी के साथ आ सकते हैं. हालांकि इससे पहले भी राजभर की दयाशंकर सिंह से मुलाकात हो चुकी है.
2017 के चुनाव में राजभर की पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. भाजपा ने सुभासपा को आठ सीटें दी थी जिनमें से चार पर उसे जीत मिली थी. राजभर का पूर्वांचल व बुंदेलखंड में राजभर बाहुल सीटों का खास प्रभाव है. भाजपा नेताओं ने महान दल प्रमुख केशव देव मौर्य से भी मुलाकात की थी. हालांकि, ओम प्रकाश राजभर का सपा के साथ गठबंधन हो गया है. गठबंधन के एलान के बाद राजभर ने कहा था कि अगर अखिलेश उन्हें एक भी सीट नहीं देते हैं तो भी वह सपा के साथ ही रहेंगे. राजभर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी कठोर टिप्पणी करते रहे हैं. हालांकि, अक्सर उनके भाजपा के साथ फिर से आने के कयास लगते रहे हैं.
हालांकि दोनों की तरफ से इस मामले में कुछ बयान नहीं दिया गया है. वहीं राज्य में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने भी लखनऊ में दावा किया था कि सुभाषपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर फिर से बीजेपी के साथ आएंगे और इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. निषाद ने कहा उनके सलाहकार उन्हें बार बार नुकसान पहुंचा रहे हैं.