किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का दुर व्यवहार को हिंसा कहते है। घर के भीतर किसी भी प्रकार का हिंसक या आक्रमक व्यवहार या गतिविधि, जिसमे आमतौर पर आपके साथी का हिंसक अत्याचार शामिल होता है, उसे घरेलू हिंसा कहते है।
2005 के राईट टू इनफार्मेशन एक्ट कि धारा 3 के तहत घरेलू हिंसा को मानसिक, शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण के रुप में वर्णन किया गया है। 1990 के दौरान, घरेलू हिंसा कि गिनती निजी मामलो में आती थी।
2021 में घरेलू हिंसा के 6684 मामले दर्ज हुए थे। इसी साल 2000 से भी जयादा घरेलू हिंसा के मामले दर्ज हो चुके है। 2022 कि गणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 862, दिल्ली में 252, महाराष्ट्र में 159, हरयाणा में 117, और बिहार में 103 मामले दर्ज किए गए हैं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के बिजनौर कि एक महिला ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में आत्महत्या कर ली। महिला का नाम मनदीप कौर है और घरेलू हिंसा से तंग आकर आत्महत्या की है। कहा जा रहा है कि आत्महत्या से पहले अपने पिता को एक वीडियो भी भेजा था।
उस वीडियो में मनदीप कौर ने अपने पति और ससूराल वालों पर दहेज के लिए तंग करने और मारपीट का इसज़ाम लगाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार बेटे को जन्म न देने के कारण भी मनदीप को मारा पीटा जाता था।
वीडियो में मनदीप ने कहा, “मैनें बहुत सहन किया। मुझे मरने पर मजबूर कर दिया। उसके ताने खत्म ही नहीं होते थे। मैं मरने चली डेडी जी। मुझे माफ़ कर दो।” और इसी के कुछ क्षण बाद मनदीप ने पंखे से लटकर अपनी जान दे दी।
क्या ऐसे घरेलू हिंसा के मामले आगे भी देखने को मिलेंगे। कब तक महिलाएं ऐसे मानसिक, शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण का शिकार बनती रहेंगीं। कब तक ऐसे महिलाओं कि आत्महत्या के मामले दर्ज होते रहेगें। कब तक भारत कि बेटियों को ऐसे जान देनी पड़ेगी।