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वैश्विक रक्षा बाजार में मजबूत हुआ भारत... ड्रैगन पर कसेगा नकेल, मित्र देशों के साथ ब्रह्महोस पर करार

फिलीपींस को आंखे दिखा रहे चीन को इस सौदे से बड़ा झटका लगा है दरअसल, दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस का अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद चल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में ब्रह्मोस मिसाइल को फिलीपींस अपने तटीय इलाकों​में तैनात कर सकता है.

Prem Kashyap Mishra
  • Jan 14 2022 3:35PM

भारत मित्र देशों के साथ ड्रैगन की नकेल कसने में जुटा है. इसी कड़ी में चीन को दोहरा झटका लगा है. एक तो भारत हथियारों के निर्यात में आगे बढ़ा है. वहीं दूसरी तरफ चीन की दक्षिण चीन सागर में बढ़ती दादागिरी को चुनौती देने में फिलीपिंस को सक्षम बना रहा है. भारत का फिलीपिंस के साथ दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की खरीद पर समझौता हुआ है.

फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग द्वारा ब्रह्मोस के अधिकारियों को इसकी सूचना भेज दी गई है. ब्रह्मोस मिसाइल के लिए यह पहला विदेशी ऑर्डर है जो 374.9 मिलियन अमरीकी डॉलर का है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से तीन गुना तेज गति यानी 4321 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मार करने में सक्षम है.

फिलीपींस को आंखे दिखा रहे चीन को इस सौदे से बड़ा झटका लगा है दरअसल, दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस का अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद चल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में ब्रह्मोस मिसाइल को फिलीपींस अपने तटीय इलाकों में तैनात कर सकता है.

सूत्रों की माने तो रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि DRDO और ब्रह्मोस एयरोस्पेस इस मिसाइल का मित्र देशों को निर्यात करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. डीआरडीओ ने हाल ही में अमेरिका के साथ मेड इन इंडिया रडार का सौदा भी किया था.

भारत को अन्य मित्र देशों से भी मिसाइल प्रणाली के ऑर्डर जल्द मिलने की उम्मीद है क्योंकि कुछ और देशों के साथ भी इसे लेकर बातचीत अंतिम दौर में है. इस मिसाइल की क्षमताओं में वृद्धि हुई है और कई आधुनिक विशेषताओं से लैस किया गया है. चीन का एक और पड़ोसी देश वियतनाम भी भारत से यह मिसाइल सिस्टम खरीदने को इच्छुक है.

इससे वैश्विक रक्षा बाजार में जहां भारत की स्थिति मजबूत हो रही है. वहीं चीन की चालबाजी पर भी मित्र देशों के साथ मिल कर नकेल कसने में कारगर कदम उठाये जा रहे हैं.

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