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टीकाकरण को गति ही दे सकती है अर्थव्यवस्था को मजबूती अंकुर नेहरा

कोरोना को मात व टीकाकरण देश के मजबूत कदम

जितेन्द्र कुमार संवाददाता
  • Jul 24 2021 3:39PM
भारतीय अर्थव्यवस्था ठीक हो रही हैं और चालू वित्त वर्ष में, सकारात्मक वृद्धि की ओर अग्रसर है, भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने जुलाई 2021 के लिए, आरबीआई बुलेटिन में उल्लेख किया गया है कि अर्थव्यवस्था रिकवरी की गति को फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है, जो 2020-21 की दूसरी छमाही में शुरू हुई थी, लेकिन दूसरी लहर की घटती रफ्तार और आक्रामक टीकाकरण नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निकट अवधि की संभावनाओं को कुछ हद तक उज्ज्वल कर दिया है। हालांकि आर्थिक गतिविधि के कई उच्च आवृत्ति संकेतक ठीक हो रहे हैं, परन्तु कुल मांग में ठोस वृद्धि अभी भी पूरी तरह से वापस नहीं आ पायी है। पिछले कुछ समय में महामारी के कारण कुछ क्षेत्रों में मांग-आपूर्ति का असंतुलन और सही समय पर प्रतिकूल आपूर्ति न होना, महगाई में बढत का मुख्य कारण बने हुए है। आपूर्ति पक्ष पर मानसून में पुनरुद्धार के साथ कृषि की स्थिति में सुधार हो रहा है। आगे वर्ष के दौरान जैसे आपूर्ति की स्तिथि सुधरेगी वैसे ही इन कारकों में कमी होने की सम्भावना है। कई राज्यों की चरणबद्ध अनलॉकिंग से जून 2021 के दौरान आर्थिक गति में क्रमिक सुधार हुआ है, जो की जीएसटी ई-वे बिल, वाहन पंजीकरण, बिजली की मांग, रेल भाड़ा और पेट्रोल की खपत आदि जैसे संकेतकों द्वारा पुष्ट भी हुआ है लेकिन वहीँ दूसरी तरफ पोर्ट ट्रैफिक, एयर ट्रैफिक, पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेज जैसे संकेतकों में ख़ास सुधार नहीं दिखा और इस दूसरी लहर से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की वसूली काफी बाधित हो गई है। प्रतिबंध हटने के साथ ही, चुनिंदा क्षेत्रों में कुछ आर्थिक गति जून, 21 में दिखाई दी, लेकिन कोविड के टीकाकरण की गति ही अब आगे आर्थिक दृष्टिकोण में बदलाव का निर्धारण करेगी। बहुत कुछ केंद्र और राज्यों द्वारा सरकारी खर्च/व्यय की गति पर भी निर्भर करेगा। स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे के खर्च में वृद्धि के अलावा,छोटी फर्मों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सेवा क्षेत्र और शहरी गरीबों के लिए आय और रोजगार सहायता का विस्तार करना महत्वपूर्ण है, ये चार खंड प्रतिबंधों के पुन लागू होने और विस्तार से सबसे अधिक प्रभावित हैं। दूसरी लहर के गुजरने के बाद अब आगे तीसरी लहर व वायरस के डेल्टा संक्रमण की उपस्थिति, एक वास्तविक जोखिम है। टीकाकरण पर तीव्र गति बनाए रखने और शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में, स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को समय रहते मजबूत करने जैसे कदम ही इस से संभावित नुक्सान को नियंत्रित करने व अर्थव्यवस्था को उभरने में मददगार होंगे। अंकुर नेहरा एक जागरूक नागरिक (व्यक्तिगत विचार)

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