दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने आज जंतर मंतर पर आयोजित 'जनता की अदालत' में दिल्ली की जनता से सीधा संवाद किया। केजरीवाल ने दिल्लीवालों से कहा कि, "दिल्ली का विधानसभा चुनाव मेरी अग्नि परीक्षा है, अगर आपको लगता है कि हमने काम किया है और केजरीवाल ईमानदार है, तभी झाड़ू का बटन दबाना।"
उन्होंने कहा कि, मैं 10 साल दिल्ली का सीएम रहा, लेकिन मेरे पास रहने के लिए घर नहीं हैं। फिर भी मैं नवरात्र के बाद सीएम आवास छोड़ दूंगा और आपके बीच में रहूंगा।
पूर्व सीएम ने कहा कि, "यह लोग मोटी चमड़ी के हैं। इनको भ्रष्टाचार का आरोप लगने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन जब ये लोग मुझे भ्रष्टाचारी और चोर कहते हैं तो मुझे बहुत फर्क पड़ता है और मैं इस दाग के साथ जिंदा नहीं रह सकता। इसलिए मैंने जनता की अदालत में जाने का फैसला किया, क्योंकि कोर्ट में यह केस 10-15 साल चलेगा।"
‘जनता की अदालत’ को संबोधित करते हुए आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर कहा कि, "जंतर-मंतर पर आकर पुराने दिन याद आ गए हैं। 4 अप्रैल 2011 का दिन था, जब आजाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी सबसे बड़ा अन्ना आंदोलन जंतर-मंतर से शुरू हुआ था। डेढ़-दो साल तक कभी जंतर-मंतर, तो कभी रामलीला मैदान पर धरने दिए। उस वक्त की सरकार भी बड़ी अहंकारी थी, उन्होंने हमारी बात नहीं मानी।
उसने हमें चैलेंज किया कि चुनाव लड़कर और जीत कर दिखाओ। हम छोटे लोग थे। हमें चुनाव लड़ना नहीं आता था। चुनाव लड़ने के लिए पैसे, गुंडे और आदमी चाहिए। हमारे पास न पैसा था, न आदमी थे और न गुंडे थे। हम चुनाव कैसे लड़ते? लेकिन वो बार-बार कहते थे कि चुनाव लड़कर दिखाओ। हम चुनाव लड़ लिए और जनता ने हमें जिता दिया।"
उन्होंने कहा कि, पहली बार में ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। 2013 में चुनाव हुए थे। हमने देश में यह साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े और जीते जा सकते हैं। जब हम उन दिनों चुनाव लड़े थे, तो बाकी पार्टी वाले कहते थे कि इनकी जमानत जब्त हो जाएगी। चाहे केजरीवाल की जमानत बच जाए। पहली बार में ही दिल्ली में हमारी 49 दिन की सरकार बन गई थी। हम ईमानदारी से चुनाव लड़े थे। हमारे पास कोई पैसा या आदमी नहीं था।