जिस टिक टॉक के लिए भारत का विपक्ष चीन की लगभग भाषा बोल रहा है जिस टिक टॉक के लिए भारत के कई तथाकथित युवा घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं जिस टिक टॉक के लिए कईयों ने अपने कैरियर तक को दांव पर रख दिया जिस टिक टॉक के लिए कईयों ने लाज है या और स्वाभिमान को त्याग दिया जिस टिक टॉक के लिए कईयों ने देश के जवानों के बलिदान पर आंसू नहीं बहाए जिस टिक टॉक के चलते न जाने कितनी लड़कियां लव जिहाद जैसे जाल में फंसी और गाजियाबाद जैसी घटनाएं भी हुई जहां लड़की को चाकू से गोद डाला गया उस टिक टॉक से आखिर भारत को कितना नुकसान था यह आंकड़े हैरान करने वाले हैं..
फिलहाल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए टिक टॉक के साथ-साथ चीन के 59 ऐप बैन लगा दिया कि जिस पर राष्ट्र वादियों में खुशी की लहर है और उसका कुछ गिने-चुने लोगों को छोड़कर दिल खोलकर स्वागत किया जा रहा है वह ठीक था पिछले वर्ष भारत से लगभग 12 सौ करोड़ रुपए कमा कर चीन ले गया था । युद्ध की संभावनाओं को देखते हुए भारत की सरकार ने भारत के जवानों को लगभग 500 करोड़ का आपातकालीन बजट जारी किया था जिससे वह अपने लिए रक्षा उपकरण और हथियार खरीद सकें। अब जरा सोचिए कि 12 सौ करोड़ रुपए अर्थात भारत के आपात रक्षा बजट के दोगुने से भी ज्यादा की राशि भारत के कुछ गुमराह युवा चीन को दे रहे थे और बदले में उन्हें सिर्फ लाइक शेयर और कमेंट मिलते थे..
इतना ही नहीं भारत की इन्हीं लोगों के चलते वह टिक टॉक टॉप 5 की रैंकिंग में हमेशा बना रहता था पर जब से भारत ने इस चौक को बैन किया तब से वह 200 रैंकिंग के आस पास पहुंच गया है । दूसरे शब्दों में इसी को घुटने के बल आ जाना कहा जाता है। इस ऐप का ताबड़तोड़ प्रचार करने के चलते हैं इसके प्रतिस्पर्धा में भारत की कंपनियों के ऐप हमेशा पीछे रहे और टिक टॉक ना सिर्फ अश्लीलता बल्कि सांप्रदायिक उन्मादी बातों का अड्डा बना रहा। हैरानी की बात यह है कि पूरी दुनिया में 30% यूजर टिक टॉक भारत से बनाया था अर्थात सिर्फ भारत में बंद होने के चलते अब टिक टॉक लगभग आधा वजूद खो चुका है।