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22 अगस्त- कारगिल में ना- पाक फौज और इस्लामिक आतंकियों का वध करते हुए आज बलिदान हुए थे वीर शिव सिंह छेत्री. उम्र थी मात्र 23 वर्ष

हिमालय आज भी गवाह है उस महान शूरवीरता का जो दिखाई थी शिव सिंह ने.

Rahul Pandey
  • Aug 22 2020 6:00AM
ये नाम आज भी कारगिल में गूंजता है, ये वो बलिदानी हैं जिन्हें दिल्ली की राजनीति से कोई लेना देना नहीं है, इन्होंने देश के लिए ही जन्म लिया था और इस देश के लिए ही अंतिम सांस ली..

कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद आतंकियो को याद करने वाले गद्दारों को याद करने वाले भले ही कोई हों लेकिन मोदी सरकार में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उठाये गए कदम के बाद स्वर्ग में ऊंचे स्थान पर बैठे वीर बलिदानी शिव सिंह छेत्री की आत्मा एक बार जरूर मुस्करा उठी होगी जिन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में राष्ट्र पर न्योछावर कर दिए थे अपने प्राण..
 
कारगिल में इस्लामिक आतंक के खिलाफ युद्ध मे वीरगति पाने वाले मे गोरखपुर के शिव सिंह छेत्री का बचपन बिछिया में बीता है. 10वीं तक की पढ़ाई नेहरू इंटर कॉलेज से और 11वीं की पढ़ाई एमपी इंटर कॉलेज से किए. अपने बैच में सबसे होनहार छात्र के रूप में शिव सिंह छेत्री अपने टीचर्स और दोस्तों के बीच बने रहते थे. 

हमेशा अपने दोस्तों के साथ मदद के लिए एक कदम आगे बढ़कर भाग भी लेते रहते थे.बचपन से सेना में जाने की इच्छा रखने वाले शिव सिंह छेत्री का सपना तब पूरा हुआ जब वह 11वीं में एमपी इंटर कॉलेज में एडमिशन लिया और पिता की वाराणसी में पोस्टिंग हुई.

शिव सिंह 11वीं की पढ़ाई छोड़कर बनारस अपने पिता के पास चले गए. पिता से कहा कि हमें भी सेना में भर्ती होना है. उस समय बनारस में गोरखा रेजीेमेंट में भर्ती चल रही थी. 1 अक्टूबर 1995 में शिव सिंह छेत्री की भर्ती गोरखा रेजीमेंट में हुआ. बलिदानी शिव सिंह को उनके घर व मुहल्ले वाले दीपू के नाम से बुलाते थे .. अपनी पहली पोस्टिंग के दौरान 4-9जीआर गलेशियर, इसके बाद कानपुर यूनिट में आ गई.

कानपुर के डेपूटेशन में 32आरआर (राष्ट्रीय राइफल) नागालैंड के लिए भेजा गया. बाद में अतंकियों की चुनौती मिलने के बाद सन 1999 में इन्हें नागालैंड से कश्मीर के कुपवाड़ा भेजा गया था जहां कारगिल युद्ध मे इन्हें वीरगति मिली थी..

वीर बलिदानी शिव सिंह के पिता गोपाल सिंह जी के अनुसार इतिहास में बेटे ने बाप का नाम अमर किया है. बेटे के नाम से ही बाप के नाम की पहचान होती है. मैं खुद सैनिक होने के बाद इस बात पर अधिक गर्व करता हूं कि कारगिल शहीद शिव सिंह छेत्री का पिता हूं. आज भी गोरखपुर की जनता मेरे नाम से नहीं बल्कि मुझे बेटे के नाम से जानती है. ऐसे बेटे पर एक पिता केवल गर्व ही कर सकता है. 

आज वीर बलिदानी शिव सिंह छेत्री के अमरता दिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें बारंबार नमन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प लेता है और साथ ही धन्यवाद है उस इच्छाशक्ति को जिसने धारा 370 को रक झटके में खत्म कर के राष्ट्र के ऐसे अनेक बलिदानियों के बलिदान को पूर्ण रूप से सार्थक किया है.. शिव सिंह छेत्री अमर रहें.. जय हिंद की सेना..

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