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महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा सूफी संत कबीर दास जी के समाधि स्थल तथा मजार पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया,

कबीर निर्वाण स्थली घर के सौंदर्यीकरण के कार्यों का बटन दबाकर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा किया गया लोकार्पण,

Indresh Chauhan Twitter @IndreshSTV
  • Jun 5 2022 2:54PM
संत कबीर नगर 05 मई 2022 महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने 31.49 करोड़ की लागत से निर्मित संत कबीर अकादमी एवं शोध संस्थान तथा भारत सरकार के स्वदेश दर्शन योजना के अन्तर्गत 17.61 करोड़ की लागत से निर्मित इण्टरप्रेटेशन सेन्टर के साथ-साथ रू0 37.66 लाख की लागत से कबीर निर्वाण स्थली मगहर के सौन्दर्यीकरण कार्यो का बटन दबाकर लोकार्पण किया। महामहिम राष्ट्रपति ने संत कबीर की समाधि और मजार पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद एक वृक्ष भी रोपित किया। अपने सम्बोधन में महामहिम ने कहा कि संत कबीर की निर्वाण स्थली साम्प्रदायिक एकता की अदभुत मिसाल है, जहां समाधि और मजार एक साथ निर्मित है, लगभग 700 वर्ष गुजर जाने के बाद भी उनकी शिक्षाएं एवं वाणी जनसाधारण से लेेकर बुद्धजीवी वर्ग तक एक समान लोकप्रिय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय को कबीर दास के लिखे हुए दोहे वाला टेलीग्राफिक अंग वस्त्र भेट किया। एक जनपद एक उत्पाद योजना के अन्तर्गत चयनित बखिरा के पीतल से निर्मित स्मृति चिन्ह भेट किया। इस अवसर पर पर्यटन से सम्बंधित एक लघु फिल्म भी दिखाई गयी। ‘‘साहेब बन्दगी’’ से अपने सम्बोधन की शुरूआत करते हुए उन्होंने कहा कि संतो के आगमन से धरती पवित्र हो जाती है। संत कबीर मगहर में लगभग 3 वर्ष तक रहें। ऊसर, बंजर तथा अभिशप्त मानी जाने वाली यह भूमि उनके आगमन से खिल उठी। कबीर साहेब के आमंत्रण पर नाथ पीठ के सिद्ध पुरूष भी यहा पधारे थे। उनके प्रभाव से यहां का तालाब जल से भर गया। वे सच्चे पीर थे वे लोगो की पीड़ा समझते थे और उस पीड़ा को दूर करने के उपाय करते थे। महामहिम ने कहा कि उनका पूरा जीवन मानव धर्म का श्रेष्ठतम उदाहरण है कबीर ने उस समय के विभाजित समाज में समरसता लाने के लिए समाजिक मेल-जोल की बरीक कताई किया। ज्ञान के रंग से सुन्दर रंगाई किया, एकता और समन्वय का मजबूत ताना-बाना तैयार किया और समरस समाज के निर्माण की चादर बुना। इस चादर को उन्होंने बहुत सावधानी से ओढ़ा और कभी मैला नही होने दिया। उन्होंने कहा कि कबीर एक गरीब और वंचित परिवार में पैदा हुए थे लेकिन उन्होंने उस वंचना को कभी अपनी कमजोरी नही समझा बल्कि उसे अपनी ताकत बनाया। कबीर साहेब ने सदैव इस बात पर बल दिया कि समाज के कमजोर से कमजोर वर्ग के प्रति संवेदना और सहानभूति रखे बिना मानवता की रक्षा नही हो सकती। हमारे समाज ने उनकी बाणी और शिक्षा को दिल से स्वीकार किया, यही कारण है कि दूनिया की अनेक बड़ी-बड़ी सभ्यताओं का नामो निशान मिट गया तबभी हमारा देश अपनी अटूट विरासत को लेकर अपने पॉव पर मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा कि कबीर दास ने हमेशा अधंविश्वास, कुरीतियांे आडंम्बरों और भेद-भाव को दूर करने का प्रयास किया। यही कारण वे अंतिम समय में काशी छोड़ कर मगहर चले आए। वे एक सहज संत थे। वे मानते थे कि ईश्वर कोई बाहरी सत्ता नही है ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। कबीर दास जी ने गुहस्थ जीवन को भी संतो की तरह जीया उनकी पवित्र वाणी ने सुदूर पूर्व में श्रीमंत शंकर देव से लेकर पश्चिम में संत तुकाराम और उत्तर में गुरूनानक से लेकर छतीसगढ़ में गुरू घासीदास को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि बिहार के राज्यपाल के रूप में वाराणसी स्थित संत कबीर की तपस्थली के दर्शन का अवसर मिला। राष्ट्रपति के रूप में वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश के भोपाल में आयोजित कबीर महोत्सव तथा 2018 में सागर में स्थित कबीर आश्रम के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। वर्ष 2018 में हरियाणा के फतेहाबाद में संत कबीर प्रकटोत्सव में भी भाग लिया। इस अवसर पर मैने संत कबीर के अनुयायियों का भारी उत्साव देखा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में पूर्व राष्ट्रपति डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम ने यहां आकर कबीर चौरा के दर्शन किये। 28 जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रिसर्च सेन्टर की आधारशिला रखा था। उस परियोजना के पूरा होने पर आज यहां कबीर साहेब की चित्र-प्रदर्शनी, आडोटोरियम, पुस्तकालय और शोधार्थियों के लिए आवास आदि का लोकार्पण करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हम वृक्षारोपण करके उसकी रक्षा करें ताकि आगे चल कर जब वह बड़ा हो तो सबको छाया और शीतलता प्रदान करें। उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले बोध गया से लाये गये छोटे बोधि वृक्ष को राष्ट्रपति भवन में रोपित किया गया अब वह पौधा काफी बड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि संत कबीर पुस्तकीय ज्ञान से वंचित रहें फिर भी उन्होंने साधु-संगति से अनुभव सिद्ध ज्ञान प्राप्त किया, उस ज्ञान को पहले स्वंय जांचा, परखा, आत्मसात किया और तब लोगो के सामने प्रकट किया। कबीर साहेब ने बंगाल से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजराज तक की यात्रा की। वे भारत के बाहर ईरान और बलख भी गये। उन्होने विषम वातावरण में श्रद्धा और विश्वास का प्रेेम और मैत्री का संदेश फैलाने के लिए लोगो के बीच गये वे लोगो के साथ सीधा सवांद करते थे। कभी-कभी वे एकदम ठेट शब्दों का प्रयोग करते थे। उन्होंने समाज को पहले जगाया और फिल चेताया। महामहिम ने कहा कि राज्यपाल के रूप में प्रदेश को श्रीमती आनन्दीवेन पटेल का मार्ग दर्शन प्राप्त हो रहा है। वे संत कबीर की शिक्षाओं के अनुरूप अपने आचरण से समाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए सजग प्रयास करती है, वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अंधविश्वास एवं भेदभाव को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास करते। उन्होंने मुख्यमंत्री को जन्मदिन की बधाई देते हुए दीर्घायु एवं यशस्वी होने की कामना किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश विकास एवं समरस्ता के पथ पर मजबूती के आगे बढ़ता रहेगा। समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कबीर दास के दौहे ‘‘कॉल्हि करे सो आज कर, आज करें सो अब’’ को याद करते हुए कहा कि उनका यह संदेश जन-जन को प्रेरित करता है कि कार्य को टालना नही चाहिए। उन्होंने कहा कि कबीर दास जी ने हमेशा रूढ़ियो का विरोध किया। उत्तर प्रदेश का संस्कृतिक एव पर्यटन मंत्रालय ऐसे तमाम स्थानों का सौन्दर्यीकरण करा रहा है जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में श्रीराम सर्किट, श्रीकृष्ण संर्किट, बौद्ध सर्किट का विकास किया जा रहा है जिसे की पर्यटन को आकर्षित किया जा सकें तथा स्थानीय लोगो को रोजगार मिल सकें। उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनने के बाद प्रतिदिन लगभग 01 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहें। उन्होंने कहा कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है। इस अवसर पर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में आमी नदी काफी प्रदूषित थी पानी काला हो गया था इसमें से बदबू आती थी। वर्तमान में लागू परियोजना के तहत आमी नदी अब प्रदूषण मुक्त हो चुकी है। प्रदेश के सभी 75 जिलों में अमृत सरोवर विकसित किया जा रहा है। इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनन्दीवेन पटेल तथा मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण किया। प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने सभी का स्वागत किया। समारोह में महामहिम राज्यपाल उ0प्र0 आनन्दीवेन पटेल, सांसद प्रवीण निषाद, विधायक अंकुर तिवारी, अनिल त्रिपाठी, गणेश चौहान, कबीर चौरा के महन्त विचार दास, नगर पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती संगीता वर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष श्यामसुन्दर वर्मा, प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम, मण्डलायुक्त गोविन्द राजू एन0एस0, आई0जी0 राजेश मोदक डी रॉव, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल, पुलिस अधीक्षक सोनम कुमार, अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) मनोज कुमार सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित रहें। महामहिम राष्ट्रपति के मगहर आगमन पर पूरे नगर पंचायत क्षेत्र पर हर्ष एवं उल्लास का वातावरण रहा। कबीर चौरा के अन्दर स्थान-स्थान पर सजे-धजे वेशभूषा में कबीर की वाणी, दोहे कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया। कबीर दास की आदम कद प्रतिमा, समाधि, मजार एवं गुफा एवं अन्य भवनों को फूल माला से आकर्षक ढंग से सजाया गया था।

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