सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

6 जून- जानवरों से भी ज्यादा हिंसक हैवानों के देश पाकिस्तान से आज ही भारत लाये गये थे 6 योद्धाओ के क्षत विक्षत शव

अमर बलिदानी कैप्‍टन सौरभ कालिया की टीम थी वो जिसके बाद शुरू हो गया कारगिल का युद्ध.

राहुल पाण्डेय
  • Jun 6 2020 2:42PM

वर्ष 1999 में हुआ कारगिल युद्ध न सिर्फ पाकिस्‍तान पर भारत की विजय गाथा का उदाहरण है बल्कि इसके साथ ही उन तमाम बलिदानियों का जिक्र भी होता है जिन्‍होंने देश की रक्षा में अपना सबकुछ दे दिया। जाट रेजीमेंट के कैप्‍टन सौरभ कालिया और उनके पांच साथी जवान इस युद्ध में अमरता को प्राप्त करने वाले बहादुरों में सबसे अग्रणी हैं. ये वो योद्धा हैं जिन्होंने पहला वार उस नापाक मुल्क का झेला है जिस से दोस्ती के लिए न सिर्फ भारत के तथाकथित राजनेता लालायित रहते हैं अपितु बॉलीवुड के तथाकथित स्टार भी इसके साथ दोस्ती करने और गलबहियां डालने के लिए दिन रात प्रयासरत रहते हैं . एक बार भी बिना ये सोचे कि इन वीरों की आत्मा को कितना कष्ट होता होगा जिनके शव के साथ हुआ है ऐसा हाल जो कभी हिंसक पशु भी नहीं करते किसी के साथ .

अगर आप वीडियो में ISIS के कत्ल की निर्मम घटनाए देखते हैं तो इसको जानिये कि उस से कहीं ज्यादा क्रूरता भारत के इन 6 वीरो ने झेली है .. आज अर्थात 6 जून को उनके शव भारत को सौंपे गये थे जिन्हें देख कर जो भी था वो दहल गया . अमरता को प्राप्त हुए इन वीरों को आज उस दिन सुदर्शन परिवार याद और नमन कर रहा है जिस दिन इनके शवो को भारत को जानवरों से भी बदतर उन लोगों ने सौंपा था जिन्हें आज मित्र बनाने के प्रयास चल रहे हैं .. आइये जानते हैं आज बिना प्राण के क्षत विक्षत हालत में अपने देश आने वाले उन वीर जवानो के बारे में जिनके नाम को जान बूझ कर ये राजनीति भुलाने पर मजबूर कर रही है जनता को जिस से वो उन हिंसक पशुओ के देश से दोस्ती कर सके जिसे पाकिस्तान कहते हैं .

कैप्टन कालिया ही वह ऑफिसर थे, जिन्हे सब से पहले इस घुसपैठ का पता चला व उन्होने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस घुसपैठ के बारे में सूचित किया. कैप्टन कालिया अपने साथी सैनिकों के साथ 15 मई 1999 को द्रास सेक्टर की बजरंग पोस्ट पर गश्त पर थे. जहाँ पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाये बैठे घुसपैठियों ने घात लगा कर हमला किया, भीषण मुठभेड़ हुई. जिस में गोलियां खत्म होने पर दुर्भाग्य से इन सभी सैनिकों को पाकिस्तानी सेना ने जिंदा पकड़ लिया. इन युद्धबंदी भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान सेना ने 22 दिनों (15 मई 1999 से 6 जून 1999) तक अत्यंत ही बर्बर, पाशविक व अभूतपूर्व अमानवीय यातनांए दी.

1- बलिदानी कैप्टन सौरभ कालिया

यूनिट – 4 जाट रेजिमेंट

युद्ध – कारगिल युद्ध 1999

2- सिपाही अर्जुन राम बसवाना

गाँव – गुड़ी

तहसील व जिला – नागौर (राजस्थान)

3- सिपाही भीकाराम

गाँव – पातुसर

तहसील – पचपदरा

जिला – बाड़मेर (राजस्थान)

4- सिपाही बनवारी लाल बगड़िया

गाँव – सिगडोला बड़ा तहसील व जिला सीकर (राजस्थान) 

5- सिपाही मूलाराम बीडियासर

गाँव – कठौती तहसील – जायल जिला – नागौर (राजस्थान) 

6- सिपाही नरेश सिंह

गाँव – छोटी तालम तहसील – इगलाब जिला – अलीगढ. (उत्तर प्रदेश)

 इन सभी युद्ध बंदी भारतीय सैनिकों को सिगरेटों से दागा गया, नाक, कान व होंठ काटे गऐ, अंगुलियां काटी गई, लगभग सारे दाँत व हड्डियां तोड़ी गईं, कानों में लोहे की गरम सलाखें डाली गई, आँखे फोड़ने बाद शरीर से निकाली गई, खोपड़ियां बंदूक की बट से तोड़ी गई. इतनी यातनायें देने के बाद भी पाशविकता और बर्बरता की सारी हदें पार करते हुऐ इन बेबस निरीह सैनिकों के गुप्तांग तक भी काटे गये. जब भारत ने अपने इन सैनिकों की रिहाई के लिये प्रयास शुरू किये तब इन सैनिकों की कनपटी पर गोली मार कर हत्या कर दी गई. इन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ की ये सब इन सैनिकों के साथ तब हुआ जब वो जिंदा थे. जिस नापाक पाकिस्तान के 93,000 युद्धबंदी सैनिकों को हमनें 1971 के भारत – पाक युद्ध में सकुशल रिहा किया, उस कृत्घन पाक ने उस का ये सिला दिया. ये एक बहुत बड़ा प्रमाण था हमारी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का .. बहुत दुख होता है जब हमारे देश में कुछ बुद्धिजीवी पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने का राग अलापते हैं.

हमारे देश के राजनैतिक नेतृत्व भी पर लानत है. जहाँ क्रिकेटर की “छींक- खाँसी,” शाहरूख खान का “पीठ दर्द”, सलमान खान की सजा, जमानत व करीना, ऐश्वर्या, विद्या बालन के ट्विट भी एक बड़ी खबर बन जाती है. उस देश में अमर बलिदानी कैप्टन कालिया के वृद्ध पिता डॉ. एन. के. कालिया आज भी इन युद्धबंदी सैनिकों की क्रूरतम हत्याओं को एक युद्ध अपराध साबित करने व अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इस मामले को उठाने के लिए लंबी व अंतहीन लड़ाई लड़ रहे हैं | आज का भटक चुका एक बड़ा वर्ग क्रिकेटरों और बॉलीवुड सितारों के बारे में तो अवश्य जानता हो, पर इन सैनिकों के राष्ट्र के प्रति किये गये सर्वोच्च बलिदान के बारे में शायद ही जानता हो. काश हमारे देश में भी भारत माँ के सच्चे सपूत हमारे सैनिकों के बलिदानों को उचित सम्मान दिया जाता | फ़िलहाल उन सभी वीरों के चरणों में बारम्बार नमन करते हुए उनकी गौरवगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन न्यूज लेता है . जय हिन्द की सेना .

 

सहयोग करें

हम देशहित के मुद्दों को आप लोगों के सामने मजबूती से रखते हैं। जिसके कारण विरोधी और देश द्रोही ताकत हमें और हमारे संस्थान को आर्थिक हानी पहुँचाने में लगे रहते हैं। देश विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए हमारे हाथ को मजबूत करें। ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग करें।
Pay

ताज़ा खबरों की अपडेट अपने मोबाइल पर पाने के लिए डाउनलोड करे सुदर्शन न्यूज़ का मोबाइल एप्प

Comments

ताजा समाचार