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पचोर नगर में निर्विन्ध्या के तट पर निकली 11 शताब्दी की एकदंत वक्रतुंड की ऐतिहासिक मूर्ति

एकदंत गणेशजी की मूर्ति के चार हाथ है जिनमे एक हाथ मे लड्डू दूसरे में मुदगर तीसरे में फरसा एवं चौथा हाथ आशीर्वाद दाता के रूप में है। मूर्ति की सूंड में लड्डू होने के साथ ही सिर के निकट दोनों तरफ पंखा झलने वाली चारिकाएँ बनी हुई है।

Ashish Sharma
  • Jul 12 2021 7:31PM
पचोर। शहर से निकल कर जाने वाली निर्विन्ध्या नेवज नदी के तट पर बसे मंदाकिनी नगर के एक प्लाट की खुदाई दौरान इतिहास से जुड़ी 11 वीं शताब्दी के समकक्ष की एक मूर्ति मिली है। फिलहाल तहसील में रखी यह गणेशजी की मूर्ति ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 
एकदंत गणेशजी की मूर्ति के चार हाथ है जिनमे एक हाथ मे लड्डू दूसरे में मुदगर तीसरे में फरसा एवं चौथा हाथ आशीर्वाद दाता के रूप में है। मूर्ति की सूंड में लड्डू होने के साथ ही सिर के निकट  दोनों तरफ पंखा झलने वाली चारिकाएँ बनी हुई है। 
जिस तरह की बनावट मूर्ति की है उसके अनुसार यह बहुत ही ज्यादा प्राचीन महत्व की मूर्ति है। 
मंदाकिनी नगर में महेश अग्रवाल उदनखेड़ी का मकान बनने वाला है जहां खुदाई के दौरान उक्त मूर्ति मिलने के बाद फिलहाल इसे तहसील परिसर में रखवाया गया है। 
फिलहाल इसकी सूचना तहसीलदार द्वारा पुरातत्व विभाग को दी गयी या नही इसकी जानकारी नही मिल पाई है। 
बताया जाता है कि जहां वर्तमान में पुरानी पचोर है उसे पारानगर कहा जाता था और जहां मूर्ति मिली है यहां नदी किनारे जंगल होने के साथ ही नरसिंहगढ़ रियासत की प्राचीन जमीन है। मूर्ति भी लाल पत्थर से बनी हुई होने से माना जा रहा है कि नरसिंहगढ़ एवं देवास राजगढ़ स्टेट के सीमावर्ती क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए यहां कभी गणेश मंदिर रहा होगा।

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