हरियाणा और दिल्ली पानी के संकट पर एक बार फिर से आमने-सामने हैं। दोनों ही सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। शनिवार को दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने आरोप लगाया था, जिसके जवाब में मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जवाब दिया- दिल्ली सरकार का यह दावा गलत है दिल्ली का एक बूंद पानी भी नहीं रोका गया।
हरियाणा के सीएम ने कहा "जब भी कुछ गलत हुआ तो दिल्ली को हरियाणा को दोष देने की आदत है। खट्टर ने कहा "ऑक्सीजन की समस्या पर भी यही हुआ, उन्हें 700 मीट्रिक टन मिली, 2.9 करोड़ की आबादी होने के बावजूद हमें 282 मीट्रिक टन मिली। हमारे पास उनसे ज्यादा मरीज थे, ज्यादा अस्पताल थे, हमारा एरिया ज्यादा था, दिल्ली से भी लोग इलाज के लिए हमारे पास आ रहे थे। वे हम पर प्रदूषण का आरोप भी लगाते हैं। दिल्ली में यातायात से कितना प्रदूषण होता है? उद्योग से कितना प्रदूषण... ये ऐसी चीजें हैं जो उन्होंने खुद बनाई हैं। अगर कुछ ऐसा है जो वे नहीं समझ सकते हैं, तो वे हरियाणा पर दोष लगाते हैं … अगर आप दिल्ली को नहीं संभाल सकते, तो हरियाणा को दे दो, हम इसे मैनेज कर लेंगे।"
मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार हमें जितना पानी देना है, पानी की पूरी मात्रा दी जा रही है, एक बूंद कम नहीं दी जा रही है। हरियाणा को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उसे भी दिल्ली की तरह पानी की जरूरत है। जहाँ हरियाणा की आबादी 2.90 करोड़ है, वहीं दिल्ली की आबादी 2 करोड़ है।"
शनिवार को राघव चड्ढा ने हरियाणा सरकार पर जलापूर्ति का आरोप लगाते हुए कहा था, "इस वजह से राष्ट्रीय राजधानी में पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा था कि हरियाणा प्रतिदिन करीब दस करोड़ गैलन पानी की कम आपूर्ति कर रहा है, जिसके चलते एनडीएमसी क्षेत्रों, मध्य, दक्षिण और पश्चिम दिल्ली में पानी का संकट पैदा हो गया है।"