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सारा संघर्ष और बलिदान हुआ भगवा ध्वज को ले कर.. पर अब श्रीराम को पहनाया जाएगा हरा वस्त्र

इस निर्णय का पौराणिक महत्व क्या है ये अब तक सामने नही आया है.

Rahul Pandey
  • Jul 31 2020 2:19PM
अभी अयोध्या में मोहम्मद फैज खान नाम के एक कथित कथा वाचक द्वारा न्यू में मिट्टी डालने का मामला शांत हुआ ही नहीं था कि 1 नए मामले ने फिर से तूल पकड़ना शुरू कर लिया। इस बार मामला अयोध्या के अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे भगवान श्री राम द्वारा पहने जाने वाले प्रथम वस्त्र को लेकर है। अयोध्या के लिए जितनी भी जंगे अर्थात संघर्ष हिंदू समाज द्वारा किए गए वह सब भगवा ध्वज के नीचे किए गए। भगवा ही हिंदुत्व की आन - मान सम्मान का प्रतीक माना जाता है लेकिन सदियों के संघर्ष के बाद विजय स्वरूप भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद प्रभु श्री राम को पहली बार जो वस्त्र पहनाया जाएगा वह हरे रंग का होगा।

यद्यपि  वस्त्रों के रंगों को लेकर संतो ने अभी तक अपनी तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है लेकिन प्रभु श्री राम के प्रथम और हरे रंग के होने पर सोशल मीडिया में एक बड़ी चर्चा जरूर छिड़ गई है। चर्चा के विषय में मूल केंद्र यह है कि क्या अयोध्या को सिर्फ हिंदुओं के लिए घोषित करने की हिंदू संगठनों की मांग मानी जाएगी या अयोध्या धीरे-धीरे सर्वधर्म समभाव का केंद्र बन जाएगा। यद्यपि अयोध्या के फैसले के लिए हुई जद्दोजहद में मुस्लिम पक्ष अर्थात बाबर के पक्ष में किसी भी प्रकार की धर्मनिरपेक्षता को दिखाने या मानने से मना कर दिया था और अंतिम समय तक मंदिर ना बनने देने के लिए लड़ाई लड़ी। इतना ही नहीं अयोध्या में आतंकी हमला भी हुआ। ऐसे में इन कारणों से अयोध्या को सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं का धर्म क्षेत्र घोषित करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लि भूमि पूजन करेंगे। इस दौरान राम लला की मूर्ति को भगवा बॉर्डर वाले हरे रंग की पोशाक पहनाए जाने की संभावना है। पोशाक नवरत्न युक्त होंगे, जिसे चार पीढ़ियों से राम लला के कपड़े सिल रहे बाबू लाल टेलर्स के द्वारा तैयार किया जाएगा। 'बाबू लाल टेलर्स' की दुकान दो भाइयों भागवत प्रसाद और शंकर लाल चलाते हैं। वे केवल मंदिरों में देवी-देवताओं के लिए कपड़े सिलते हैं। प्रसाद ने कहा कि उनके पिता ने कई वर्षों तक राम लला की पोशाकें सिलीं और उन्होंने इस विरासत को जारी रखा।  कुल मिलाकर के पूरा वस्त्र प्रभु का हरे रंग का होगा बस वस्त्रों के बॉर्डर किनारे किनारे थोड़े से भगवा रंग में दिखेंगे। ऐसा किस विधि विधान से हुआ इस पर अभी संतों का जवाब आना बाकी है ।

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