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'ऐसी शिक्षा प्रदान करें कि यहां से निकलने के बाद विद्यार्थी कहे कि मैंने छत्तीसगढ़ में शिक्षा ली': सुश्री उइके

इस अवसर पर दरबार हॉल घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं, जिसके अनुसार सभी निजी विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम में नैतिक मूल्य से संबंधित 100 नंबर का एक विषय प्रारंभ करें और उसमें उत्तीर्ण होना अनिवार्य करें। इसके नंबर को श्रेणी निर्धारण में शामिल न करें। साथ ही हर विश्वविद्यालय संस्कृत से जुड़ा पाठ्यक्रम प्रारंभ करें क्योंकि संस्कृत हमारे देश की प्राचीन संस्कृति की पहचान है।

योगेश मिश्रा, छत्तीसगढ़
  • Feb 2 2021 5:45PM
निजी विश्वविद्यालय ऐसी शिक्षा प्रदान करे कि यहां से निकलने वाले विद्यार्थी देश के बाहर जाकर भी यह कहें कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा प्राप्त की है। कोरोनाकाल में निजी विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन शिक्षा तथा अन्य माध्यमों से विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया है, यह सराहनीय है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के 16वें स्थापना दिवस समारोह में कही। 



राज्यपाल सुश्री उइके का नाम आम जनता से मुलाकात करने के लिए वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया। इस समारोह में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड संस्था द्वारा राज्यपाल को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया। यह सम्मान उन्हें 29 जुलाई 2019 से 06 जनवरी 2021 तक एक राज्यपाल के रूप में 10 हजार 849 लोगों से मुलाकात करने एवं उनकी समस्या सुनने के लिए दिया गया। राज्यपाल को उपस्थित सभी निजी विश्वविद्यालयों ने अभिनंदन पत्र प्रदान कर सम्मान किया। छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने भी राज्यपाल को विशेष अभिनंदन पत्र प्रदान किया। सभी निजी विश्वविद्यालयों ने राज्यपाल के समक्ष उनके द्वारा कोरोना काल में किए गए कार्यों से संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

 

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र गुणवत्ता बनाएं रखें। पहले की अपेक्षा विश्वविद्यालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है परन्तु आवश्यकता है कि मानकों के अनुरूप अपने आप को ढालें तथा यह प्रयास करें कि सभी वर्गों तक उच्च शिक्षा की पहुंच हो। मेरा मानना है कि शिक्षा प्रदान करने का काम सबसे पुण्य का कार्य है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होना चाहिए। शिक्षण संस्थाओं को किसी भी प्रकार की राजनीति से मुक्त रखना चाहिए ताकि विद्यार्थियों की संस्थाओं के प्रति विश्वसनीयता बनी रहे। राज्यपाल ने निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग और सभी निजी विश्वविद्यालयों को स्थापना दिवस की बधाई दी। 



उल्लेखनीय है कि राज्यपाल द्वारा पहली बार राजभवन में सभी निजी विश्वविद्यालयों की बैठक ली गई और समीक्षा की गई। इस बैठक में कुलाधिपति, कुलपति एवं कुल सचिव उपस्थित थे। इस अवसर पर सभी निजी विश्वविद्यालयों ने कहा कि यह पहला अवसर है जब राज्यपाल द्वारा उन्हें राजभवन बुलाकर बैठक ली गई और हमें अपनी बात रखने का मौका दिया। इसके लिए हम सब उन्हें धन्यवाद देते हैं।

 

राज्यपाल ने कहा कि आप लोगों ने जो मुझे यह सम्मान दिया उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूं। मुझे जो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड संस्था ने सम्मानित किया, उनके प्रति मैं आभारी हूं। मैं जब भी किसी व्यक्ति से मिलती हूं तो मेरे मन में यह विचार रहता है कि उसके लिए मैं क्या कर सकती हूं और उसकी समस्याओं का कैसे समाधान कर सकती हूं। मैंने जीवन में कोई भी कार्य या किसी की मदद बिना किसी अपेक्षा के की। यदि जीवन में कोई भी व्यक्ति बिना किसी अपेक्षा के किसी की मदद करता है तो उसे जो संतुष्टि मिलती है वह किसी भी अन्य कार्य में नहीं मिलती। ऐसे कार्यों से भी उन्हें सबसे बड़ा पुण्य मिलता है। छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. शिववरण शुक्ल को इस कार्यक्रम के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी और कहा कि इस उम्र में भी इतने ऊर्जावान है और कार्य करते हैं, यह तारिफ के काबिल है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि यदि किसी व्यक्ति के मन में काम करने की प्रबल इच्छा हो तो कभी भी बुढ़ापा या उम्र बाधा नहीं बनता और वह अवश्य लक्ष्य की प्राप्ति करता है।

डॉ. शिववरण शुक्ल ने कहा कि राजभवन के दरबार हॉल में इस कार्यक्रम के आयोजन से ऐसा महसूस हो रहा है कि हम सब परिवार के लोग एक साथ एकत्रित हुए हैं। सभी निजी विश्वविद्यालय प्रयास करें कि छत्तीसगढ़ को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सबसे सर्वोत्तम मनाएं। शुक्ल ने बताया कि इस अवसर पर दरबार हॉल घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं, जिसके अनुसार सभी निजी विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम में नैतिक मूल्य से संबंधित 100 नंबर का एक विषय प्रारंभ करें और उसमें उत्तीर्ण होना अनिवार्य करें। इसके नंबर को श्रेणी निर्धारण में शामिल न करें। साथ ही हर विश्वविद्यालय संस्कृत से जुड़ा पाठ्यक्रम प्रारंभ करें क्योंकि संस्कृत हमारे देश की प्राचीन संस्कृति की पहचान है। विश्वविद्यालयों में छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रम भी प्रारंभ करें।

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