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Ganesh Visarjan 2023: मुंबई में बप्पा मोरिया के जयकारों के बीच लालबाग के राजा की विदाई ​

लालबाग के राजा से बस एक विनती गणेश भक्त कर रहे है, ‘गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या..., ‘बप्पा चालले गावाला,.. चैन पडेना आम्हाला

Sonam Gurung
  • Sep 28 2023 11:02AM

देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम देखने को मिल रही है और आज गणेश जी को विदा किया जा रहा है। वहीं महाराष्ट्र में हर साल इस दिन को लालबाग के राजा फिर अगले साल आने का वादा करके अपने लोक में वापस चले जाते हैं।

गणपति को दी जा रही विदाई

देखते-देखते नौ दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला कि बप्पा की विदाई का वक्त भी आ गया। आज यानि 28 सितंबर को लालबाग के राजा अपने घर लौट जाएंगे। वहीं मंबुई की सड़कों पर शाही अंदाज से लालबाग के राजा की विदाई यात्रा होगी। इस मौके पर उत्सव का माहौल बना हैं और सभी की निगाहें लालबाग के राजा पर टिकीं हैं। साथ ही उनकी इस विदाई यात्रा को देखने के लिए लोखों की संख्या में श्रध्दालुओं मीलों का सफर तय कर रहे हैं।  

बता दें कि इस विदाई में शामिल होने के लिए वहां पहले से ही हजारों की तादाद में बप्पा के भक्त इंतजार कर रहे हैं और बप्पा से बस एक विनती गणेश भक्त कर रहे है, ‘गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या..., ‘बप्पा चालले गावाला,.. चैन पडेना आम्हाला...यानी, ‘गणपति बप्पा मोरया अगले साल जल्दी आ’, ‘बप्पा अपने गांव चले, चैन ना हमें पड़े।

मुंबई में किए गए सुरक्षा के कड़े इंतजाम

गणेश विसर्जन के दिन भारी भीड़ को दिखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के लिए खास तैयारियां कर ली हैं और 7000 सीसीटीवी लगाए गए हैं। लगभग 2866 पुलिस अधिकारियों समेत 16 हज़ार से भी ज्यादा पुलिस के जवान अलग अलग विसर्जन स्थलों पर मौजूद होंगे। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी विसर्जन स्थलों पर नजर रखी जाएगी।

 लाल बाग के राजा की कहानी

देशभर में सबसे ज्यादा मुंबई में गणेश उत्सव की धूम होती है, और कहा जाता है कि मुंबई में भी सबसे ज्यादा श्रद्धालु लाल बाग के राजा के पंडाल में जुटते हैं। दरअसल, श्रद्धालुओं का विश्वास है कि लाल बाग के राजा के दर्शन भर से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

एक जमाने में मुंबई के लाल बाग के व्यापारियों का कारोबार घाटे में चलता था। व्यापारी चाहते थे कि लालबाग के एक खुली जगह पर भी बाजार लगने लगे। कहते हैं इसी इच्छा के साथ कुछ व्यापारियों ने लाल बाग के राजा के पंडाल की स्थापना की थी और मूर्ति स्थापित हो जाने के बाद व्यापारियों की मनोकामना पूरी होने में वक्त नहीं लगा। इसके बाद से ही यहां लाल बाग के राजा की स्थापना हर साल होने लगी। लाल बाग के गणपति का उत्सव साल दर साल और भव्य होता जा रहा है।

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