ज्ञानवापी परिसर मामले में सुनवाई 26 मई के लिए टल गई है। काशी
मामले में ‘हिन्दू सेना’ ने अदालत में पक्षकार बनाए जाने की याचिका लगाते हुए दावा
किया है कि उसके पास ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के होने के
दस्तावेजी प्रमाण मिले हैं। ये याचिका संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वाराणसी
की जिला अदालत में दर्ज की है। उनका कहना है कि ‘अनुच्छेद-25’ के तहत इस मामले से उनके पूजा के अधिकार पर प्रभाव पड़ता है, इसीलिए इस मामले में उन्हें पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
बता दें कि मध्य प्रदेश के धार जिले में भी नर्मदा किनारे ‘नंदीकेश्वर’ शिवलिंग
हैं, जिसे प्राचीन बताया जाता है। शिव
पुराण में नंदीकेश्वर महादेव और गंगा कुंड की चर्चा है। वहीं जिला अदालत में इस
मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी।
सर्वे पर दोनों पक्ष एक सप्ताह में जवाब (आपत्तियाँ) दाखिल करेंगे। कोर्ट रूम में 36 लोगों को जाने की इजाजत
मिली। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ये मामला सुने जाने योग्य ही
नहीं है। कोर्ट रूम के बाहर ‘हर
हर महादेव’ के नारे भी लगे।
डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज डॉक्टर एके विश्वेश इस मामले की
सुनवाई कर रहे हैं। ज्ञानवापी एक हिन्दू मंदिर है और वहाँ अभी भी हिन्दू
देवी-देवताओं के चित्र और मूर्तियाँ हैं – इसको
आधार बना कर हिन्दू पक्ष वहाँ पूजा के अधिकार के लिए अदालत पहुँचा हुआ है। विष्णु
गुप्ता ने कहा कि इस
मामले में जो दूसरा पक्ष है, कभी
उसने ही इन मंदिरों को ध्वस्त कर के वहाँ मस्जिद बना दिया था। उन्होंने आदि
विश्वेशर ज्योतिर्लिंग के अधार्मिक चरित्र को बनाए रखने और उसकी रक्षा के लिए खुद
को सम्बद्ध मानते हुए पक्षकार बनाए जाने की अपील की है।
उन्होंने रिसर्च और खोजबीन के बाद मिले कुछ प्राचीन
दस्तावेज भी अदालत के समक्ष पेश किए जाने की अनुमति माँगी है। कुछ लोगों का ये भी
कहना है कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग का नाम ‘नंदीकेश्वर’ है। स्कन्द पुराण के ग्रन्थ ‘काशीखण्ड’ के हवाले से बताया गया है कि ज्ञानवापी की उत्तर दिशा में
नंदी द्वारा स्थापित शिवलिंग है और वो उत्तर दिशा से जल की रक्षा करते हैं। BHU में धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग के प्रो. माधव जनार्दन रटाटे
ने ये बात कही है।
उन्होंने श्लोक ‘शैलादीश्वरमालोक्य
ज्ञानवाप्या उदक्दिशि। लभेत् गणत्वपदवीं नात्र कार्या विचारणा।’ का हवाला देते हुए कहा कि इसमें ये विवरण हैं। साथ ही
उन्होंने ये भी बताया कि गुरु चरित्र ग्रन्थ के 42वें
अध्याय में भी ज्ञानवापी और नंदीकेश्वर का जिक्र है। उन्होंने एक अन्य ग्रन्थ ‘कृत्यकल्पतरु’ में
भी यही चीज होने की बात कही। उन्होंने कहा कि इतने विशाल शिवलिंग को स्थापित करने
की क्षमता शिव के वाहन नंदी देव के पास ही हो सकती है।