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RBI के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने कहा -"केंद्र की वित्तीय उत्तेजना पर्याप्त नहीं है, राजकोषीय घाटा 14% तक जा सकता है

सुब्बाराव ने कहा की ये स्पष्ट है की सरकार को ज़्यादा खर्च करने की आवश्यकता है,क्योन्कि यह एक नैतिक और राजनीतिक अनिवार्यता है.

Leechhvee Roy
  • May 10 2020 8:44PM

RBI के पूर्व गवर्नर डुवुरी सुब्बाराव ने रविवार को कहा की केंद्र द्वारा जो 26 मार्च को जो तालाबंदी के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा की गयी है, वो पर्याप्त नहीं है. 

शहर स्थित मंथन फाउंडेशन द्वारा आयोजित "द चैलेंज ऑफ़ द कोरोना क्राइसिस - इकोनॉमिक डायमेंशन " शीर्षक के एक वेबिनार मे बोलते हुए, सुब्बाराव ने कहा की, केंद्र को ध्यान देने की ज़रूरत है, क्यूंकि ओपन एंडेड उधारो मे बयाज दर के बढ़ने जैसे नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैँ. सरकार ने राजकोशीय समर्थन पैकेज की घोषणा सकल उत्पाद के 0.8 प्रतिशत पर की. सुब्बाराव का कहना है की ये पर्याप्त नहीं है, जब 26 मार्च को इसकी घोसणा हुए तब भी ये सही नहीं था, और अभी की स्थिति के अनुसार यह और भी कम नज़र आता है. सरकार को अधिक खर्च करने की ज़रूरत है. 

सुब्बाराव के अनुसार, तीन चीज़ो पर खर्च करने की आवश्यकता है जिसमे से पहला है आजीविका सहायता का विस्तार. उन्होंने कहा की जब देशव्यापी तालाबंदी लागू की गयी, तबसे लाखों परिवार असुरक्षित हो गए है और इसलिए आजीविका का समर्थन कई और परिवारों तक बढ़ाया जाना चाहिए. सरकारी खर्च पर पहली चुनौती है, की सरकार को अधिक घरों को कवर करने की ज़रूरत है और ज़्यादा समय तक मदद करने की ज़रूरत है. 

वित्त मंत्रालय ने 26 मार्च को 1.70 लाख करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज का अनावरण किया जिसमे अगले तीन महीनों तक गरीबो के लिए मुफ्त अनाज और रसोई गैस शामिल है. सुब्बाराव ने कहा की यह बिलकुल स्पष्ट है की सरकार को ज़्यादा खर्च करने की ज़रूरत है क्यूंकि यह एक नैतिक और राजनीतिक अनिवार्यता है. अधिक खर्च के लिए अधिक उधार लेने की ज़रूरत है. सुब्बाराव इस दृष्टिकोण से असहमत थे क्यूंकि यह एक असाधारण और असामान्य संकट है तो सरकार को उद्धार सीमाएं निर्धारित करके खुद को नहीं बांधना चाहिए. इस कठिन वर्ष के लिए केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.5 प्रतिशत है. तालाबंदी के कारण राजस्व के नुकसान के कारण, तालाबंदी के खाते मे नाममात्र जीडीपी मे गिरावट के कारण राजकोषीय घाटा जीडीपी के 10 प्रतिशत से अधिक हो जायेगा. अतरिक्त उधार अब राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 13 से 14 के दायरे मे le जायेगा. यह बहुत अधिक है और उच्च राजकोशीय घाटे के सभी नकारात्मक परिणाम होंगे. सुब्बाराव के अनुसार घरेलु वित्तीय क्षेत्र, जो गहरे तनाव मे है जब तक महामारी समाप्त नहीं हो जाती तब तक समस्या देखनी पड़ेगी. हालांकि कुछ फायदे हैँ जैसे की क्रूड की कीमतों मे उपज.

यह कहते हुए, की दुनिया को कुछ समय के लिए कोरोनावायरस के साथ रहना है, सुब्बाराव ने कहा की महामारी को रोकने के लिए केंद्र और राज्य दोनों मिलकर काम कर रहे हैँ. "भारत की उच्च जनसंख्या घनत्व को देखते हुए, जीवन और आजीविका की दुविधा भारत के लिए बहुत बड़ी है".रोकथाम के किसी भी अंतराल का मतलब है लाखों लोगों का नुकसान. 

सुब्बाराव ने कहा की भारत के लिए विशेष रूप से  यह एक मुश्किल कार्य है, क्यूंकि हमारी अर्थव्यवस्था ख़राब स्थिति मे है  

 

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