भारत को संस्कृति और संस्कार का प्रतीक माना जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं यहां के लोगों का जजवा और हौसला पूरी दुनिया को चुनौती देता है। अगर देश कि संस्कृति और संस्कार इतने महान हों और पूरी दुनिया सलामी भी देती हो तो उस देश की संस्कृति और सनातनी धर्म का कोई कैसे मजाक बना सकता है? लेकिन ऐसा हुआ है और ये हरकत देश का गद्दार या फिर पब्लिसिटी हासिल करने के लिए किसी भी हद तक गिरने वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
आपको बता दें मां काली के फिल्मी पोस्टर को लेकर पहले ही बवाल हो चुका है। अब भगवान शंकर की आपत्तिजनक तस्वीर का मामला केरल से प्रकाश में आया है। सनातन धर्म के सहारे पब्लिसिटी हासिल करने के लिए एक तस्वीर केरल की मैगजीन ‘द वीक’ में प्रकाशित की गई है। जिसको लेकर विवाद गहरा होता जा रहा है। हालांकि खबर है कि भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में ‘द वीक’ मैगजीन के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने को लेकर केस दर्ज करवाया है।
जानकारी के अनुसार, भाजपा नेता का कहना है कि, “मैगजीन ने भगवान शिव और मां काली की आपत्तिजनक फोटो छापी है। 30 जुलाई को वह दिल्ली से कानपुर लौटे। उन्होंने सेंट्रल स्टेशन के एक बुक स्टॉल से 24 जुलाई को प्रकाशित हुई “द वीक” मैगजीन खरीदी।
मैगजीन के 62 व 63 पेज पर भगवान शिव व माँ काली की आपत्तिजनक फोटो छपी हुई थी। इस तरह की तस्वीरे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम करती हैं।
आपको बता दें इस लेख को बिबेक देबरॉय द्वरा लिखा गया है। हालांकि ‘द वीक’ के स्तंभकार बिबेक देबरॉय ने 4 अगस्त को ट्विट कर कहा कि वह इस मैगजीन से खुद को अलग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैगजीन ने मुझसे पूछे बिना लेख में माँ काली की आपत्तिजनक तस्वीर का इस्तेमाल किया। मैं इससे आहत हूँ।”
लेख में आपत्तिजनक तस्वीर को लेकर देबरॉय ने मैगजीन की पत्रकारिता नैतिकता पर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा, “मेरा यह पत्र ‘माँ काली’ पर विशेष कॉलम से संबंधित है, जिसे ‘द वीक’ ने मुझे लिखने के लिए कहा था। यह 24 जुलाई, 2022 के अंक में ‘ए टंग ऑफ फायर’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ था। साथ में एक जादू टोना पर आधारित पेंटिंग का चित्र भी है। लेख के कंटेंट और इस तस्वीर के बीच एक बहुत ही कमजोर कड़ी है। मैं काली की कई बेहतर तस्वीर के बारे में सोच सकता हूँ और उसे उपलब्ध करवा सकता हूँ। इस तस्वीर को जान-बूझकर उकसाने और भड़काने के लिए चुना गया था। कम से कम, मैं इसे इस तरह से समझता हूँ।”
बता दें कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय एक अर्थशास्त्री और सम्मानित लेखक चेहरे के रूप में जाने जाते हैं।
गौरतलब है कि यह एक तरह से साजिश है डॉ. बिबेक देबरॉय को बदनाम करने की क्योंकि डॉ. बिबेक देबरॉय प्रधानमंत्री के करीबी हैं ऐसे में साफ है कि यह आपत्तिजनक फोटो बिबेक देबरॉय के लेख में जानबूझ कर लगाई गई है।