बिहार में पहले तो निजी मंदिरों पर चार प्रतिशत शुल्क शुल्क लगाया अर्थात मंदिरों में आपको पूजा करने के लिए भी टैक्स देने पड़ेंगे। आपको घरेलु पूजा पाठ के लिए टैक्स देना पड़ेगा। यह ठीक मुगल आक्रांता द्वारा हिन्दुओं पर लगाए गए जजिया टैक्स जैसा है। हिन्दू मंदिरों पर लगाये गए टैक्स का विरोध सुदर्शन ने प्रमुखता से किया था। लेकिन अब फिर नितीश कुमार का एक और हिन्दू विरोधी फैसला सामने आया है। गया जो हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है जहाँ हिन्दू अपने पूर्वजों का पिंडदान करने गया जाते है, मान्यता है की वहां पूर्वजों का पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन अब वहां भी पिंडदान करने के लिए हिन्दुओं से टैक्स वसूला जाएगा हिन्दुओं को जीवित रहते पहले पूजा अर्चना करने के लिए टैक्स देना पड़ेगा उसके बाद अब मृत्यु उपरांत पिंडदान के लिए भी टैक्स देना पड़ेगा ।
गया जी की 50 से अधिक पिंड में से प्रमुख दो पिंड वेदी सीताकुंड वाला अक्षय वट में अब प्रवेश पर तीर्थ यात्रियों से वसूले जा रहे शुल्क से हिन्दू समाज बौखला उठा है। इसके पीछे हिन्दू समाज तथा विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति का तर्क है कि पिंडदान से जुड़े शहर में 50 वेदियां हैं तो उन सभी वैदियों पर यदि शुल्क लगना शरू हुआ तो तीर्थयात्रियों की नजर में गयाजी वसूली का एक केंद्र नजर आएगा।
वहीं, नगर निगम के मेयर विरेंद्र कुमार का कहना है कि अक्षयवट और सीता कुंड मंदिर के क्षेत्र के रखरखाव और मेंटेनेंस को ध्यान में रखते हुए प्रति पिंदानी ₹5 या शुल्क निर्धारित किया गया है ।यह निर्णय सरकार का है। व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखने के उद्देश्य को लेकर या निर्णय किया गया। ₹10 की जगह पर ₹5 ही लेने की बात के तहत सुधार की गई है। ₹10 नहीं ₹5 ही लिया जाना है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि ठेकेदार तो 10 रुपये वसूल रहा है तो उन्होंने कहा कि इस पर उनसे शख्ती से निपटा जाएगा।
लेकिन विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विठ्ठल ने तीर्थयात्रियों से शुल्क लिए जाने का भारी विरोध जताया है।उन्होंने कहा कि इससे पिंडदानियों में निराशा है। इससे गया धाम की छवि खराब होगी। इस दिशा में निगम और जिला प्रशासन को विचार करने की जरूरत है। इस निर्णय का पूरा हिन्दू समाज विरोध करता है।
हिन्दुओं का कहना है देश के किसी भी धार्मिक स्थल पर ऐसा नहीं होता है। गया नगर निगम पिंड वेदियों को आय का जरिया न बनाए। निगम ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो उसे गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ेगें।