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FactCheck- क्या सच में चौकीदार से दुर्व्यवहार करने वाले बिहार के अररिया कृषि अधिकारी को मिला है प्रमोशन ? या ये है महज एक सोची समझी राजनैतिक अफवाह

जानिये जमीनी हकीकत व् अधिकारियो की जुबानी..

राहुल पाण्डेय
  • Apr 27 2020 3:01PM
पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर बिहार की जो घटना सबसे ज्यादा चर्चित रही वह यह थी कि अररिया जिला में तैनात कृषि विभाग के एक बड़े अधिकारी ने बिहार में Lockdown को कायम रखने वाली टीम में शामिल एक चौकीदार से बदसलूकी की.. इतना ही नहीं वह संवेदनहीन अधिकारी उस चौकीदार को बीच रोड पर कान पकड़कर उठक बैठक भी करवाया. यह घटना सभ्य समाज में लगभग हर किसी को नागवार गुजरी और बिहार के उस कृषि अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग बुलंद होने लगी. इस मामले का जिस उच्चाधिकारी ने सबसे पहला संज्ञान लिया वह थे बिहार के वर्तमान डीजीपी आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय जी, जिन्होंने वीडियो जारी करके बिहार पुलिस के ही नहीं बल्कि पूरे देश के पुलिस बल के मनोबल को बढ़ाया और स्पष्ट रूप से अपने पुलिस बल के साथ हर तरीके से खड़े होने की बात कही.

DGP बिहार के इस बयान के बाद बिहार के उस तानाशाह कृषि अधिकारी के विरुद्ध FIR भी पंजीकृत की गई और शासन स्तर पर आवश्यक जांच इत्यादि भी शुरू हो गई. माना जाने लगा कि ये न्याय की तरफ बढ़ते कदम थे और जनमानस संतोष व्यक्त करने लगा, लेकिन भी अचानक ही सोशल मीडिया पर एक नई खबर वायरल होने लगी कि बिहार के उसी कृषि अधिकारी का ट्रांसफर करके उसे प्रमोशन दिया गया है. यह खबर सोशल मीडिया पर बुरी तरह से होने लगी और इसको फेसबुक , ट्विटर व् व्हाट्सएप पर शेयर किया जाने लगा. सुदर्शन न्यूज़ ने जब इस मामले की जमीनी पड़ताल की तो उसमें जो तथ्य सामने निकल कर आए वो यही साबित कर रहे हैं कि यह मात्र के अफवाह है जिसको बिहार शासन को बदनाम करने के लिए सोच समझ कर वायरल किया जा रहा है. इस स्पष्टीकरण में सबसे उल्लेखनीय बिहार के वर्तमान डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे द्वारा पुनः जारी किया गया वीडियो है जिसमे उन्होंने साफ़ तौर पर स्पष्ट किया कि चौकीदार से बदसलूकी करने वाले अधिकारी को प्रमोशन देने वाली बात सरासर झूठी है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जिस पुलिस अधिकारी ने इस कृत्य के लिए सहयोग किया था उसको तत्काल ही सस्पेंड कर दिया गया था और आरोपी कृषि अधिकारी पर भी FIR दर्ज कर के जांच चल रही है, जांच के बाद संवैधानिक रूप से कड़ी कार्यवाही भी सुनिश्चित की जायेगी. DGP श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय ने ये भी बताया कि उक्त पूरा प्रकरण शासन के संज्ञान में है और ऐसे मामले में प्रमोशन का तो सवाल ही नही उठता.. इसी के साथ DGP बिहार ने बिहार हाईकोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमे प्रोन्नति पर रोक जैसे आदेश हैं.. ऐसे में किसी को प्रमोशन पाने का कोई आधार ही नहीं है. साथ ही DGP बिहार ने इस प्रकार की अफवाह उड़ाने वालों से ऐसा न करने को कहा है..

DGP बिहार के स्पष्टीकरण का वीडियो लिंक - 
https://www.facebook.com/IPSGupteshwar/videos/2562411213863912/

इसी मामले में बिहार के कृषि मंत्री का भी स्पष्टीकरण आया है. बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार (Prem Kumar) ने अररिया डीएओ मनोज कुमार (Araria DAO Case) को प्रमोशन दिए जाने की खबर का साफ़ तौर पर खंडन किया है. कृषि मंत्री बिहार ने कहा कि इस मामले की जांच को प्रभावित करने से बचाने के लिए मनोज कुमार का तबादला किया गया है. उन्होंने साफ कहा कि पुलिस जांच में दोषी पाये जाने पर उनका निलंबन और गिरफ्तारी दोनों होगा.बिहार के गया परिसदन में मीडिया से बात करते हुए कृषि सह पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि प्रमोशन की बात पूरी तरह से गलत है. होमगार्ड के साथ वीडियो वायरल होने के बाद उनके द्वारा जांच कर कार्रवाई का आदेश विभागीय सचिव को दिया गया था. इसके बाद कृषि सचिव ने डीएओ के तबादला की अनुशंसा की थी और इस अनुशंसा का अऩुमोदन करे हुए डीएओ मनोज कुमार को वहां से हटाकर मुख्यालय में शंट किया गया है ताकि वो अररिया में पुलिस जांच को प्रभावित ने कर सकें. मंत्री ने बताया कि उनके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है और जांच कर रही है. विभाग ने डीएओ पर कार्रवाई शुरू कर दी है. प्रेम कुमार ने कहा कि जो लोग वीडियो वायरल करके मनोज कुमार को प्रमोशन दिये जाने की झूठी खबरें फैला रहें हैं उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जायेगा. कृषि विभाग इस मामले में पूरी तरह से सजग है और कोरोना महामारी के समय़ देश की सेवा मे लगे पुलिस जवानों के साथ बदसलूकी करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी. मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग पुलिस की जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी.

अतः जब सुदर्शन न्यूज़ ने गहनता से इस पूरे विषय जांचा परखा तो पाया गया कि उक्त कृषि अधिकारी का ट्रांसफर इसलिए किया गया जिससे वह उस क्षेत्र में रहकर उसके विरुद्ध चल रही जांच को किसी प्रकार से प्रभावित ना कर सके.  प्रमोशन देने की बात पूरी तरह से निराधार मिली. कुल मिलाकर उक्त अधिकारी का ट्रांसफर आवश्यक व पारदर्शिता के लिए अपरिहार्य था . इस मामले पर अचानक ही कई राजनेताओं के बयान भी आने लगे व् नीतीश सरकार को जान बूझकर निशाने पर लिया जाने लगा . लेकिन यह सारी बातें अंततः निराधार सिद्ध हुई हैं.. सुदर्शन न्यूज़ की पड़ताल में पाया गया कि खुशी अधिकारी को प्रमोशन देने की बात सरासर राजनीतिक साजिश से प्रेरित है . उक्त अधिकारी के विरुद्ध FIR होने के साथ-साथ जांच भी प्रचलित है जिसमें अंतिम निर्णय आने की प्रतीक्षा है. 

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