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पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने किसानों को लिखा खुला पत्र.. हठ छोड़कर समझदारी से निर्णय लेने की अपील.. पढ़िए पूरी चिट्ठी..

किसान आंदोलन के नाम पर हो रही राजनीति चरम पर है। पिछले 100 से अधिक दिनों से किसान कृषि कानून वापस लिए जाने को लेकर धरना दे रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश के पूर्व आईएएस अधिकारियों ने किसानों को एक खुली चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों के नाम पर फैलाई जा रहे हैं भ्रम का जिक्र किया है। यह पहला मौका है जब पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने कृषि कानूनों के पक्ष में खुलकर अपनी बात कही है।

रजत के.मिश्र , Twitter - rajatkmishra1
  • Mar 11 2021 4:43PM

पूर्व आईएएस अधिकारियों ने किसानों से आंदोलन खत्‍म करने की अपील की है। प्रदेश के पूर्व नौकरशाहों ने किसानों को कृषि सुधार कानूनों के फायदे गिनाते हुए तत्‍काल आंदोलनन खत्‍म करने की अपील की है। उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍य सचिव अतुल गुप्‍ता ने कहा कि किसानों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्‍हें कृषि कानूनों के फायदे के बारे में खुद जानना चाहिए। प्रशासन और पुलिस के पूर्व अधिकारियों ने किसानों से अपील की है कि आपके आंदोलन से आम जनता को परेशानी हो रही है। 

आमदनी बढ़ाने का काम कर रही है सरकार - अतुल गुप्ता

अतुल गुप्‍ता ने कहा कि केन्‍द्र व राज्‍य सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम किया है। सरकार ने बजट में कृषि के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि के लिए कई अहम प्रावधान किये गये हैं। उन्‍होंने कहा कि मंडियां खत्‍म नहीं की जा रही हैं बल्कि किसानों की सुविधा के लिए मण्डियों को ई-नाम के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी उपज का डेढ़ गुना दाम मिलने की गारण्टी होगी। कृषि कानून में सहूलियत दी गई है कि किसान से एग्रीमेण्ट करने वाला, एग्रीमेण्ट समाप्त नहीं कर सकता, जबकि किसान एग्रीमेण्ट खत्म कर सकता है। किसान की उपज से एग्रीमेण्ट करने वाले को अधिक लाभ होने पर उसे किसान को बोनस भी देना होगा।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर फैलाया जा रहा है भ्रम - सुदेश ओझा

पूर्व आईएएस अफसर सुदेश ओझा व अन्‍य अफसरों ने किसानों से अपील कि कांट्रैक्‍ट खेती कोई नई चीज नहीं है। प्रदेश के कई हिस्‍सों में पहले से हो रही है। इसमें किसान अपनी मर्जी से सिर्फ फसल का कांट्रैक्‍ट करता है, न कि जमीन का..  कांट्रैक्‍ट खेती से किसानों की जमीन जाने का भ्रम फैलाया जा रहा है। 

न मंडी बन्द हो रही और ना MSP - सुलखान सिंह

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हितों में अनेक फैसले लिए गये, जिसके कारण किसान विकास की मुख्यधारा से जुड़ा है। गन्ना किसानों को 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया तथा बन्द चीनी मिलों को पुनः संचालित कर उनकी क्षमता का विस्तार भी किया है। उन्‍होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से न तो मंडिया बंद होगी और न ही एमएसपी समाप्त होगी। इससे किसानों की फसल का मुनाफा बढ़ेगा। पूर्व डीजीपी ने कहा कि आंदोलन से आम लोग रोज परेशान हो रहे हैं। 

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