कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और आतंकवाद की उम्र बहुत कम इस बात को सिर्फ इस हत्यारी देशद्रोही गद्दार ने फिल्मों में कई बार सुना होगा लेकिन जब कुछ ही समय पहले अपने सर पर मौत नाची थी तब उसको इन बातों का शत-प्रतिशत एहसास हुआ होगा। ध्यान देने योग्य है कि मात्र 3 दिन पहले कश्मीर में सीआरपीएफ के एक योद्धा और एक मासूम बच्चे के हत्यारे दुर्दांत आतंकी को जम्मू कश्मीर पुलिस सीआरपीएफ और राष्ट्रीय रायफल्स ने मिलकर मार गिराया है। इस दुर्दांत आतंकी की मौत का देश बेसब्री से इंतजार कर रहा था और भारत के जवानों ने बदला लेने में 72 घंटे का भी समय नहीं लगाया।
कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट के बाद लगातार खत्म हो रहे आतंकवाद को जिंदा करने के लिए इस आतंकी ने हथियार उठाए थे और यह अपने दो अन्य साथियों के साथ सदा के लिए खामोश कर दिया गया है। या मुठभेड़ कश्मीर के दक्षिणी इलाके में पडने वाले बिजबेहरा क्षेत्र के वाघामा इलाके में हुई थी जब सेना सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस को सटीक सूचना मिली थी कि उस क्षेत्र में कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं। सूचना मिलते ही इलाके की घेराबंदी की गई और तलाशी के दौरान हैं सैनिकों पर फायरिंग शुरू हो गई । सैनिकों ने पहले तो आम जनता को बचाने के लिए मुठभेड़ स्थल पर घेरा बनाया और उसके बाद सभी आतंकवादियों को सरेंडर करने का पूरा मौका दिया लेकिन आतंकवादी सरेंडर करने के बजाए लगातार गोलियां बरसाते रहे।
आखिरकार सैनिकों को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी और इस जवाबी कार्यवाही में तीन कुख्यात आतंकी आखिरकार ढेर हो गए पुलिस मात्र 72 घंटे में लिए गए जाहिद से इस प्रतिशोध के बाद समाज में एक संदेश स्पष्ट रूप से जरूर गया है कि अब कोई भी हत्यारा गद्दार देशद्रोही आतंकी तथाकथित सेकुलर विषम या नकली मानवाधिकार की आड़ में छुप छुप कर ज्यादा समय जिंदा नहीं रह सकता । मोदी सरकार की इस नीति का देश ही नहीं बल्कि दुनिया के उन सभी देशों में स्वागत हो रहा है जो कहीं न कहीं से आतंकवाद की पीड़ा को महसूस कर रहे हैं जबकि नई सरकार की इन्हीं नीतियों से आतंकवाद के समर्थकों में बेचैनी दिखाई दे रही है