इनपुट-रवि शर्मा,लखनऊ
बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में लंबित होने पर और तमाम कमियां सामने आने पर के बावजूद कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक की ओर से 2 दिन पहले विद्युत नियामक आयोग से अपने पेंडिंग पड़े प्रस्ताव पर अभिलंब निर्णय की मांग उठाई। इसकी भनक लगते ही राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह से मिलकर एक लोक महत्व याचिका दाखिल करते हुए बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर सवाल उठाया।
उन्होंने प्रदेश की बिजली कंपनियों पर जुलाई से सितंबर महीने के लिए जो अपने 387 करोड रुपए की एवज में 12 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी आयोग से चाह रहा है। सरप्लस रकम से उपभोक्ताओं को यूनिट में 31पैसे की कमी करनी चाहिए, जो विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है।
राज्य विद्युत परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को नियामक आयोग में याचिका दाखिल करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा प्रदेश की बिजली कंपनियां वह क्यों भूल जाती है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 25133 करोड़ रूपया सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में उन्हें यदि लगा की फ्यूल सरचार्ज के मध्य में उनका कुछ उपभोक्ताओं पर निकल रहा है, तो उन्हें इस सरप्लस रकम से अपना हिसाब बराबर करना चाहिए ना कि पूरे प्रदेश के उपभोक्ताओं पर बोझ डालने की कोशिश करनी चाहिए।
इससे पहले भी प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से अप्रैल,मई,जून के महीने के लिए फ्यूल सरचार्ज के मध्य में 35 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की मांग की गई थी, लेकिन उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद उसमें कामयाब नहीं हो पाए थे। बिजली कंपनियां नहीं करा सकती क्योंकि बिजली कंपनियों को शांति से बैठ कर लाइन हानियां कम करनी चाहिए, राजस्व बढ़ाना चाहिए और भ्रष्टाचार को कम करना चाहिए।