प्रफुल्ल पटेल की जिद की वजह से FIFA ने इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन को किया बैन
जिसके चलते FIFA ने सोमवार देर रात रात फीफा ने इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन को बैन कर दिया। दरअसल, चुनाव न होने के चलते भारतीय फुटबॉल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (CoA) चला रही है। मगर नियम कहते हैं कि किसी भी देश में अगर फुटबॉल को चलाने वाली प्रॉपर संस्था या ऑर्गनाइजिंग बॉडी नहीं हो तो उसकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है।
भारतीय फुटबॉल अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गया है। फुटबॉल संघ में राजनीति, नियमों में अनदेखी और पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल की जिद ने भारतीय फुटबॉल पर काला धब्बा लगा दिया है। यूपीए सरकार में मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल 13 साल तक भारतीय फुटबॉल संघ के अध्यक्ष रहे। देश का स्पोर्ट्स कोड के अनुसार, कोई भी व्यक्ति 3 बार से ज्यादा अध्यक्ष पद पर नहीं रह सकता। इसलिए उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। मगर पद से हटते ही प्रफुल्ल पटेल ने गंदी राजनीति शुरू कर दी। पटेल ने उच्चतम न्यायालय में 2017 से लंबित मामले का सहारा लेकर शीर्ष अदालत में नए संविधान को लेकर मसला सुलझने तक चुनाव कराने से इंकार कर दिया था।
जिसके चलते FIFA ने सोमवार देर रात रात फीफा ने इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन को बैन कर दिया। दरअसल, चुनाव न होने के चलते भारतीय फुटबॉल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (CoA) चला रही है। मगर नियम कहते हैं कि किसी भी देश में अगर फुटबॉल को चलाने वाली प्रॉपर संस्था या ऑर्गनाइजिंग बॉडी नहीं हो तो उसकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है।
दरअसल इसी साल अक्टूबर महीने में भारत फुटबॉल में अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी करने वाला था। अब वह खतरे में पड़ चुका है। भारत पर बैन का मतलब है देश में फुटबॉल पर पूरी तरह रोक लग जाना। अगले साल AFC एशियन कप भी होना है। बैन लगने के बाद अब भारतीय टीम किसी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाएगी। कोई विदेशी खिलाड़ी ISL जैसे घरेलू टूर्नामेंट में खेलने भारत नहीं आ पाएगा।
15 अगस्त को फीफा ने खेल मंत्रालय को सूचित किया कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के चुनावों के लिए निर्वाचक मंडल में व्यक्तिगत सदस्यों को शामिल करने के विरोध पर अडिग है। इसके बाद फीफा ने ‘तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव’ के कारण एआईएफएफ को निलंबित कियाा और भारत से अंडर -17 महिला विश्वकप के मेजबानी अधिकार छीने।
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