चीफ जस्टिस एनवी रमना ने ठीक सवा 10 बजे द्रौपदी मुर्मू को देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर शपथ दिलाई। वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। संसद भवन का केंद्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने सहज अंदाज में हिंदी में भाषण दिया। उनके संबोधन में आदिवासी समाज की झलक थी, तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जिक्र था।
शपथ के बाद उन्होंने द्रौपदी मुर्मू ने भाषण दिया, "मैं जिस जगह से आती हूं, वहां प्रारंभिक शिक्षा भी सपना होता है। गरीब, पिछड़े मुझे अपना प्रतिबिंब दिखाते हैं। मैं भारत के युवाओं और महिलाओं को विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर काम करते हुए उनका हित मेरे लिए सर्वोपरि रहेगा।"
उन्होंने ने आगे कहा कि मुर्मू ने कहा कि मैं जनजातीय समाज से हूं और वार्ड काउंसलर से लेकर भारत के राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर की आदिवासी बेटी भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है। ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत का गरीब सपने भी देख सकता है और उसे पूरा भी कर सकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ समारोह में देश के सर्वोच्च पद के लोग शामिल हुए हैं। राजनेता, न्यायाधीश, ब्यूरोक्रेट्स, लेकिन इस समारोह में द्रौपदी ने अपने खास लोगों को निमंत्रण देकर बुलाया है। ओडिशा के मयूरभंज जिले से 64 लोग इस समारोह में शामिल हुए हैं।