काशी यानी वाराणसी के डोमराजा जगदीश चौधरी का आज निधन हो गया है। चौधरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे हैं। आज सुबह अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और आनन फानन में उनके परिजनों ने उन्हें शहर के सिगरा स्थित एक निजी अस्पताल में उन्हें दाखिल कराया। डोमराजा पिछले कुछ समय से जांघ में एक घाव से परेशान थे। मीरघाट स्थित पैतृक निवास पर उनका शव लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए यहां लोग पहुँच रहे हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि "सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है। श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन सम्पूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें"
नरेंद्र मोदी द्वारा जब उन्हें अपना प्रस्तावक बनाया गया था तब डोमराजा ने कहा था कि " पहली बार किसी राजनीतिक दल ने हमें यह पहचान दी है और वह भी खुद प्रधानमंत्री ने। हम बरसों से लानत झेलते आए हैं। हालात पहले से सुधरे जरूर हैं, लेकिन समाज में हमें पहचान नहीं मिली है और प्रधानमंत्री चाहेंगे तो हमारी दशा जरूर बेहतर होगी"
काशी में डोमराजा परिवार का इतिहास सदियों पुराना है। मशहूर मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर वर्षों से इनके ही परिवार के लोग अंतिम संस्कार के लिए मुखाग्नि देते हैं। काशी में करीब पांच हजार लोग इनकी बिरादरी से जुड़े हैं। वाराणसी के हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर ‘राम नाम सत्य है’ का उद्घोष, जलती चिताएं और दर्जनों की तादाद में डोम यहां की पहचान रहे हैं। पौराणिक गाथाओं के अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने खुद को श्मशान में चिता जलाने वाले कालू डोम को बेच दिया था। उसके बाद से डोम बिरादरी का प्रमुख यहां डोम राजा कहलाता है। चिता को देने के लिए मुखाग्नि उसी से ली जाती है।