धर्म स्वतः शुद्ध होता है और अपने अनुयायियों को भी शुद्ध करता है। इसे ऐसे कह सकते हैं कि जैसे साबुन का काम होता है बाहरी मैल साफ करना वैसे ही धर्म अपने अनुयायियों के मन के मैल को साफ कर उसे साफ सुथरा बनाता है। वैसे ही जैसे साबुन कभी कभी उसके उपयोगकर्ता गंदा दूषित कर देते हैं फिर भी उसकी क्षमता प्रभावित नहीं होती है ठीक उसी तरह कभी-कभी धर्म को भी उसके अनुयायी गंदा कर जाते हैं लेकिन फिर भी उसकी क्षमता प्रभावित नहीं होती है लेकिन उसके अनुयाइयों का यह कर्तव्य बनता है कि वह उसे साफ सुथरा बनाये रखें।
सुदर्शन न्यूज़ का धर्म शुद्धि अभियान भी कुछ ऐसा ही है। सनातन धर्म के कुछ कथाकार इन दिनों हिंदुत्व को छोड़कर इस्लामियत के प्रचार में लग कर अपने धर्म पर कालिख पोत रहे थे। हम इस कालिख को बर्दाश्त न कर सके और धर्म शुद्धि अभियान के लिए विवश हुए। जिसके सुखद परिणाम आने प्रारम्भ हो गए हैं। कुछ धर्माचार्य जो भूल वश ऐसा कर रहे थे, उन्होंने अपनी भूल सुधारते हुए भविष्य में कभी ऐसा न करने का भरोसा दिया है। हम उनके इस निर्णय का शुद्ध अंतःकरण से स्वागत करते हैं। हमने अपना धर्म शुद्धिकरण अभियान प्रारम्भ करते हुए कहा था कि यह लड़ाई खुद हमारे लिए भी एक कठिन लड़ाई है। कठिन इसलिए कि इस लड़ाई में हम अपने ही लोगों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने जा रहे हैं। जिनके प्रति हमारे मन में पहले सम्मान स्थापित था। कुछ धर्माचार्यों की भुल स्वीकारोक्ति हमारे अभियान की शुद्धता का प्रमाण है, कि हम उचित कार्य कर रहे हैं।
सनातन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक धर्म है। हमें अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व है। लंबे समय से इसे मिटाने के कुचक्र होते रहे हैं। गुलामी काल में हमारे धर्म पर हुए हमलों के बाद भी हमारा हिंदुत्व न तो कमजोर हुआ और न मिटा। क्योंकि इसके रक्षार्थ अपने प्राणों की आहुति देने वाले इसके अनुयाइयों की श्रृंखला लंबी रही है। किंतु स्वार्थवश विधर्मियों के हांथों की कठपुतली बनने वालों हमारे अपने लोगों द्वारा जब सनातन धर्म के खिलाफ कुछ गलत किया जाता है, तो वह हमारे लिए सबसे ज्यादा घातक होता है।