जिले में गुरूवार 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जनपद के शिवालयों और देवालयों में भक्तों और व्रतियों ने मत्था टेक महादेव भोलेनाथ के शिवलिंग पर दूध व गंगाजल से अभिषेक कर अपने मंगल जीवन की कामना किया। इसके अलावा लोगों ने अपने घरों में भी रुद्राभिषेक, महा मृत्युंजय का पाठ कराया। वहीं कई स्थानों पर लगे मेले में लोगों की भीड़ उमड़ी रही।
बच्चों ने खिलौनों की खरीदारी की तो मेले में गुड़हिया जलेबी आकर्षण का केंद्र रही। जिला मुख्यालय से सटे बरैला मंदिर, पंचमुखी महादेव मंदिर, गौरीशंकर , कंडाकोट, नवलखा मंदिर, घोरावल के शिवद्वार समेत जिले के तमाम देवालयों में सुबह से ही भक्तों के पूजन का क्रम शुरू हो गया, जो देर शाम तक चला। भक्तों ने भोलेनाथ का अभिषेक कर, भांग धतुरा, फल, मिष्ठान चढ़ाया तथा धूप, दीप नैवेद्य जलाकर दर्शन पूजन कर अपने मंगल जीवन की कामना किया। वहीं मंदिर के पास लगे मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी की। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल लगातार चक्रमण करता रहा।
मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन शिव-पार्वती की बारात भी निकाली जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध आदि चढ़ा कर विधि-विधान से पूजा, व्रत और रात्रि जागरण करते हैं. महा शिवरात्रि व्रत त्रयोदशी तिथि से ही शुरू हो जाता है। इस दिन कई लोग पूरे दिन का व्रत करखते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, चतुर्दशी पर रात्रि के दौरान चार बार महा शिवरात्रि की पूजा की जाती है। इन चार समयों को चार पहर के रूप में भी जाना जाता है। मान्यतानुसार, इन चारों पहरों में से पूजा करने पर व्यक्ति को अपने पिछले पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उन्हें मोक्ष का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।