हिंदू धर्म में देव उठनी एकादशी विशेष महत्वपूर्ण पर्व है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मानाई जाती है। देवउठनी एकादशी, जिसे भगवान विष्णु के जागने के दिन के रूप में मनाया जाता है, इस दिन विशेष रूप से श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस साल देवउठनी एकादशी पर कुछ विशेष और दुर्लभ योग बन रहे हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस दिन विशेष रूप से सिद्धि योग, ग्रहों का मिलन और वृद्धि योग जैसे शुभ संयोग बनेंगे। ये संयोग भक्तों के लिए सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माने जाते हैं। इन योगों का लाभ उठाकर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक शांति का भी प्रतीक है। इस दिन के दौरान भक्तजन प्रार्थना, ध्यान और जप करते हैं, जिससे उन्हें मानसिक स्थिरता और जीवन में सकारात्मकता का अनुभव होता है। इस दिन किया गया व्रत और पूजन अनेक आध्यात्मिक लाभ देता है, और यह बुरे कर्मों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
भक्तजन इस दिन विशेष रूप से तुलसी पूजा करते हैं, क्योंकि तुलसी को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। तुलसी के पौधे की पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही, यह दिन विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्यों के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस प्रकार, देवउठनी एकादशी का पर्व सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है आत्मा की शुद्धि, मानसिक संतुलन और जीवन में सकारात्मकता लाने का। इस विशेष दिन का सदुपयोग कर श्रद्धालु अपने जीवन को और भी अधिक आनंदमय और समृद्ध बना सकते हैं। इसलिए, इस दिन की तैयारी और पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह की कमी नहीं है।