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27 जनवरी - बलिदान दिवस, कश्मीर के रक्षक कर्नल मुनीन्द्रनाथ राय.. हत्यारे आतंकी का अब्बा था पुलिसवाला और उसी ने दिया धोखा

किसी की वीरता और किसी की गद्दारी का इतिहास याद करने का दिवस है आज.

Rahul Pandey
  • Jan 27 2021 2:47PM
राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल मुनींद्रनाथ राय को उनके बेमिसाल नेतृत्व के लिए युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया जाता है. बटालियन ने उनकी अगुवाई में हिजबुल मुजाहिदीन के चार खुंखार आतंकवादियों का खात्मा किया, 9 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया और उनके दो ठिकानों को तबाह कर दिया. 

कर्नल मुनींद्रनाथ राय की अगुवाई में आतंकवाद से जूझ रहे त्राल में सेना का दबदबा कायम हो गया है और श्री अमरनाथ यात्रा का रास्ता अब पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति भवन ने कर्नल मुनींद्र नाथ राय की असाधारण वीरता की ये कहानी सुनाते हुए उन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया था. 

लेकिन दैवयोग से महज 24 घंटे बाद 27 जनवरी को कश्मीर के उसी त्राल इलाके में जिस वीर का सम्मान किया जा रहा था उसके बलिदान होने की खबर आई. जब सेना ने कर्नल के नेतृत्व में आतंकियों को चारो तरफ से घेर लिया तब उन आतंकियों के आत्मसमर्पण की खबर लेकर एक बुजुर्ग बाहर निकला था.. 

वो कश्मीर पुलिस में हेडकांस्टेबल था .. कर्नल साहब ने इसीलिए उस पर विश्वास कर लिया और उस से आतंकियों को निहत्थे ही बाहर निकालने के लिए कहा ..पर आतंकियों के मंसूबे सफल करने में कामयाब हो गया आतंकी आबिद का वो पुलिसवाला अब्बा और उन्होंने भारी गोलीबारी शुरू कर दी . 

जब तक बाकी सैनिक उनकी गोलियों का जवाब दे पाते तब तक कर्नल राय व एक CRPF के हेडकांस्टेबल सदा सदा के लिए अमर हो चुके थे . बलिदान होने से पहले कर्नल राय आतंकी फिरदौस व सिराज को उनके असली अंजाम तक पहुचा चुके थे जो इस्लामिक आतंकी दल हिजबुल मुजाहिदीन के थे..

बाकी जवानों ने अन्य को भी सदा के लिए खामोश कर दिया. आतंकी आबिद के पिता हेड कांस्टेबल हैं और उन्होंने ही आतंकियों की धोखा देने में मदद की थी. मुनींद्र नाथ राय की वीरगति के पीछे हेडकांस्टेबल पिता और आतंकी बेटे की साजिश थी. 

ऐसी ही साजिशों के जाल में फंस कर हमारे कई वीर बलिदान हो चुके हैं ..इनके पराक्रम की गूंज आज भी कश्मीर की वादियों में गूंजती है .. 26 जनवरी को भारतीय सेना के कर्नल मुनीन्द्र नाथ राय को कश्मीर में उत्कृष्ट सेवा के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया था.

पुरष्कृत होने के अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में वे शहीद हो गए | 42 वीं राष्ट्रीय राईफल्स के कोमान्डिंग आफीसर (सी ओ) कर्नल राय दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के एक गांव में संदिग्ध अलगाववादी आतंकियों के खिलाफ त्राल शहर के नजदीक हन्डूरा जंगल में सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक साझा अभियान का नेतृत्व कर रहे थे । 

यह अभियान आतंकवादियों की धरपकड़ के लिए चलाया जा रहा था | सेना को सूचना मिली थी कि जंगल में बड़े पैमाने पर आतंकी छुपे हुए हैं | पुलिस अधीक्षक के अनुसार इस मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी और हिजबूल मुजाहिदीन के दो आतंकवादी भी मारे गए । आतंकियों की पहचान फिरदौस अहमद और शिराज अहमद के रूप में हुई है |

"Play your role in life with such passion, that even after the curtains come down, the applause doesn't stop."

इन गौरवशाली शब्दों का हिंदी में भावार्थ होगा कि - जीवन में अपनी भूमिका ऐसे निर्वाह करो, कि जब पर्दा गिरे तो प्रशंसा न थमे.

आज भारत मां के उस जांबाज़ बेटे कर्नल मुनीन्द्र राय के बलिदान दिवस पर उनको बारंबार नमन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है ..साथ ही सतर्क करता है आतंकियों से लड़ते बाकी जवानों को गद्दारों की झूठी बातों में आ कर उनके साथ किसी भी प्रकार की नरमी बरतने के बारे में..

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