भले ही वर्दी पहनने से पहले किसी भी युवा के अन्दर सिंघम बनने और अपराधियों का दमन करने जैसी भावनाएं जोर मारती हैं लेकिन वर्दी पहन लेने के बाद उसको जमीनी असलियत का एहसास हो जाता है. दिन और रात एक कर लेने के बाद उसको जब वो नौकरी मिलती है तो कुछ समय काट लेने के बाद उसका एक ही लक्ष्य रह जाता है कि पैसा आदि मिले या न मिले पर कम से कम उसका कोई अपमान न करे. वो दिन भर चोर , लुटेरों , अपराधियों और आतंकियों से जूझता है , किसी से उसको शारीरिक रूप से लड़ना पड़ता है , किसी के खिलाफ हथियार उठा कर तो किसी के मौखिक रूप से. ऐसे में उसकी आशा ये जरूर रहती है कि उसको कम से कम उसका विभाग अपमानित न करे ..
लेकिन जमीनी तौर पर उसका सबसे ज्यादा अपमान उसके ही विभाग में ये जताने और दर्शाने के लिए किया जाता है कि सामने वाला उस से बड़ा अधिकारी और रुतबे वाला है. ये पूरे भारत की अंग्रेजो के समय से समस्या रही है . इसका जीवंत प्रमाण उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में साफ़ देखा जा सकता है जहाँ सिपाही को अपने न सही तो अपने परिवार की सुख सुविधा के लिए एयरकंडीशन लगवाना भारी पड़ गया और 3 दिन का मौका देते हुए नोटिस जारी कर दी गई. मतलब सुख और सम्मान की तलाश भी शायद इस विभाग में नोटिस और आपत्ति के योग्य है. हर कोई जानता है कि किस प्रदेश में सबसे ज्यादा आत्महत्या पुलिस के अराजपत्रित स्टाफ ने की है.
सिर्फ गिने चुने अधिकारी हैं जो ताकत और रूतबा रखने के बाद भी इस सिस्टम को बदलने का अपनी तरफ से प्रयास कर रहे है .क्योकि ये तमाम ब्रिटिश कालीन परम्परा बिहार में लागू हो रही है क्योकि वहां के DGP हर दिखावे और ब्रिटिशकालीन सोच से दूर शुद्ध भारतीयता के मुद्दे पर अपने प्रदेश को चला रहे हैं . फिलहाल मुख्य मुद्दे पर आया जाय. अगर विभागीय रुतबे में देखा जाय तो बहुत अंतर होता है एक DGP के और एक होमगार्ड के पद और कद में.. लेकिन उस समय एक होमगार्ड के शोक संतृप्त परिवार वालों के घावों पर जैसे कोई मरहम लगा दे वैसा ही हुआ जब होमगार्ड के परिवार में बिहार के DGP गुप्तेश्वर पाण्डेय का फोन जाता है और उनके बलिदानी बेटे को अपने खुद के बेटे जैसा बताया जाता है. यहाँ ध्यान रखने योग्य है कि बिहार के जिला बेगूसराय के होमगार्ड राज्यवर्धन कल गश्त के दौरान अपराधियों की गोली का शिकार हो गये थे.
DGP बिहार गुप्तेश्वर पाण्डेय जिन्होंने पंजाब के ASI हरजीत सिंह से ले कर कश्मीर के सब इंस्पेक्टर क़ाज़ी तक के परिवार का हाल चाल लिया था अब उन्होंने अपने ही प्रदेश में वीरगति पाए होमगार्ड के परिवार को फोन किया और उनके पिता को साहस देते हुए कहा कि उनके परिवार के लिए जो कुछ भी और जितना भी संभव होगा वो उस से ज्यादा बढ़ कर करने का प्रयास करेंगे. पुलिस महानिदेशक बिहार ने कहा कि लाक डाउन खत्म होते ही वो उनके परिवार से मिलने जायेंगे.. कानूनी सहायता दिलाने के मुद्दे पर DGP बिहार कहा कि वो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने के साथ केस के अदालत में स्पीडी ट्रायल का प्रयास करेंगे और दोषियों को कम से कम आजीवन कारावास की सजा दिला कर ही दम लेंगे. भावुक होते हुए बलिदानी होमगार्ड के पिता से उन्होंने कहा कि कर्तव्य पथ पर वीरगति पाने वाला होमगार्ड भी उनके खुद के बेटे जैसा ही था जिस पर बलिदानी के पिता भी भावुक हो गये. DGP बिहार ने कहा कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ बिहार पुलिस के संघर्ष के इतिहास में उनका बेटा सदा के लिए अमर रहेगा और उनके बलिदान से बिहार पुलिस का प्रत्येक पुलिसकर्मी प्रेरणा लेगा और उनकी क़ुरबानी व्यर्थ किसी भी हाल में नहीं जाने दी जायेगी.
रिपोर्ट -
राहुल पाण्डेय
सुदर्शन न्यूज़ , मुख्यालय नॉएडा
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