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दमोह जिला अस्पताल में भ्रष्टाचार का खेल जारी, अधिकारी और ठेकेदार मिलकर सरकारी धन में लगा रहे सेंध

दमोह – शहर के सरकारी जिला अस्पताल के अधिकारी अपनी मनमर्जी से अस्पताल परिसर में निर्माण के जरिये सरकारी फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं। बीते दिनों अस्पताल परिसर में ट्रॉमा सेंटर के पास तार फैंसिंग की गई थी जिसे अब निकाल कर अलग कर उसकी जगह लाखों रुपए खर्च कर लोहे के पिलर खड़े कर टीनशेड लगाया जा रहा हैं। इस फिजूलखर्ची के लिए सिविल सर्जन ममता तिमोरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी संगीता त्रिवेदी के लिए जिम्मेदार मानती है, वह कहती है कि सीएमएचओ ने बगैर कोआर्डिनेशन के जाली लगवाई थी जिसे हटाकर टीनशेड लगाया जा रहा है और यहां चार पहिया वाहनों के लिए स्टैंड बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि जहां पर यह पिलर खड़े किए गए हैं वहां का रास्ता बेहद संकीर्ण है जिससे बड़े वाहनों को एमसीएच भवन तक जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

राज पाठक
  • Mar 2 2021 8:33PM

दमोह – शहर के सरकारी जिला अस्पताल के अधिकारी अपनी मनमर्जी से अस्पताल परिसर में निर्माण के जरिये सरकारी फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं। बीते दिनों अस्पताल परिसर में ट्रॉमा सेंटर के पास तार फैंसिंग की गई थी जिसे अब निकाल कर अलग कर उसकी जगह लाखों रुपए खर्च कर लोहे के पिलर खड़े कर टीनशेड लगाया जा रहा हैं। इस फिजूलखर्ची के लिए सिविल सर्जन ममता तिमोरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी संगीता त्रिवेदी के लिए जिम्मेदार मानती है, वह कहती है कि सीएमएचओ ने बगैर कोआर्डिनेशन के जाली लगवाई थी जिसे हटाकर टीनशेड लगाया जा रहा है और यहां चार पहिया वाहनों के लिए स्टैंड बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि जहां पर यह पिलर खड़े किए गए हैं वहां का रास्ता बेहद संकीर्ण है जिससे बड़े वाहनों को एमसीएच भवन तक जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
45 लाख की लागत से बने धुलाई घर का हो रहा निजी उपयोग:- 
अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि जिला अस्पताल के गंदे कपड़ों की धुलाई के लिए बीते साल करीब 45 लाख रूपये की लागत से धुलाई घर का निर्माण कराया गया था। इस भवन को जुलाई 2020 में अस्पताल प्रबंधन के सुपुर्द भी कर दिया गया, लेकिन लाखों रूपये की लागत से बनाये गए इस धुलाईघर में आज तक एक भी कपड़ा धुलने के लिए नहीं आया। 

साफ-सफाई का नहीं दिया जा रहा ध्यान:- 
बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं की दुहाई देने वाले इस अस्पताल की सफाई व्यवस्था भी अप्रशिक्षित हांथो में होने की वजह से लाखों रुपयों की मशीन धूल खा रही हैं। सरकारी निमय के अनुसार जिस ठेकेदार को अस्पताल की साफ सफाई का जिम्मा दिया जाता है उसे कम से कम 100 बेड वाले अस्पताल में सफाई करने का अनुभव होना चाहिए। लेकिन यहां मामला कुछ और ही है। सफाई कर्मियों की माने तो अभी हाल ही में जिस एजेंसी को सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी मिली है उसको तीन वर्ष पहले भी यही जिम्मेदारी मिली थी लेकिन उक्त एजेंसी पर सफाई कर्मियों की तनख्वाह लेकर रफूचक्कर होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। 
अव्यवस्थित वाहन पार्किंग से बाधित होती इमरजेंसी सेवाएं:-
अस्पताल परिसर के अधिकांश हिस्से पर भवन बना दिये गए हैं जिससे पार्किग व्यवस्था चौपट हो गई है। अव्यवस्थित वाहन पार्किंग के इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं।

- राज पाठक
रिपोर्टर
सुदर्शन न्यूज़ (दमोह)

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